सख्त कानून के बावजूद नहीं थम रहा बाल श्रम, श्रम विभाग ने 91 लोगों को बकाया मुक्त

श्रम विभाग के आंकड़े ही इसकी पुष्टि कर रहे हैं। उत्तराखंड राज्य गठन बाद प्रदेश में 91 लोगों को बाल श्रम व बंधुआ मजदूरी करते हुए पकड़ा गया है। श्रम विभाग ने सूचना अधिकारी अधिनियम यानी आरटीआइ के जवाब में इसका ब्योरा दिया है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 07:20 AM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 07:20 AM (IST)
सख्त कानून के बावजूद नहीं थम रहा बाल श्रम, श्रम विभाग ने 91 लोगों को बकाया मुक्त
श्रम विभाग ने सूचना अधिकारी अधिनियम यानी आरटीआइ के जवाब में इसका ब्योरा दिया है।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : श्रम कानूनों में हुए हालिया बदलाव के बाद अस्तित्व में आए चार श्रम कोड को लेकर विरोध के स्वर भी उठ रहे हैं। सख्त कानून के बावजूद बाल श्रम रूक नहीं रहा है। श्रम विभाग के आंकड़े ही इसकी पुष्टि कर रहे हैं। उत्तराखंड राज्य गठन बाद प्रदेश में 91 लोगों को बाल श्रम व बंधुआ मजदूरी करते हुए पकड़ा गया है। श्रम विभाग ने सूचना अधिकारी अधिनियम यानी आरटीआइ के जवाब में इसका ब्योरा दिया है।

राज्य के बाहर भी मिले बाल श्रमिक

उत्तराखंड बनने से अभी तक 52 बंधुआ मजदूरों को पूरे प्रदेश से मुक्त कराया गया। इसके अलावा उत्तराखंड के रहने वाले लोगों को अन्य प्रदेशों में बंधुआ मजदूर बनाकर काम कराए जाने की शिकायत मिलने पर विभाग ने अन्य प्रदेशों में जाकर उत्तराखंड के 39 लोगों को बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराया।

उत्थान में खर्च दी एक करोड़ से अधिक धनराशि

बंधुआ मजदूरी करने वालों को मुक्त कराने के बाद की हकीकत कभी सामने नहीं आती, लेकिन विभागीय आंकड़े बताते हैं कि उत्तराखंड श्रम विभाग ने राज्य गठन के बाद 1.30 करोड़ रुपये की धनराशि मजदूरों के उत्थान में व्यय कर दी। आरटीआइ कार्यकर्ता हेमंत गौनिया की ओर से चाही गई सूचना में विभाग ने यह जानकारी दी है।

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