इंदिरा का जनाधार दरका, कमल खिला गई यशपाल, भगत व द्विवेदी की केमिस्ट्री
एक साल पहले विधानसभा चुनाव में जबरदस्त मोदी लहर के बाद भी जिन मतदाताओं ने डॉ.इंदिरा हृदयेश का हाथ नहीं छोड़ा, कुछ ही समय बाद उन्हीं मतदाताओं ने रिकार्ड मतों से कमल खिला दिया।
हल्द्वानी, जेएनएन : एक साल पहले विधानसभा चुनाव में जबरदस्त मोदी लहर के बाद भी जिन मतदाताओं ने डॉ.इंदिरा हृदयेश का हाथ नहीं छोड़ा, कुछ ही समय बाद उन्हीं मतदाताओं ने बिना लहर के नगर निगम चुनाव में रिकार्ड मतों से कमल खिला दिया। मतदाताओं के बदले एकाएक मूड से राजनीतिक पंडित भले अचंभित हों, लेकिन इस जीत के पीछे कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्या, विधायक बंशीधर भगत और पूर्व टीडीसी चेयरमैन हेमंत द्विवेदी की सियासी केमिस्ट्री को भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
कुमाऊं की राजनीतिक राजधानी कही जाने वाली हल्द्वानी पर नेता प्रतिपक्ष डॉ.इंदिरा हृदयेश के बेटे सुमित हृदयेश के मैदान में होने से यह हॉट सीट हो गई थी। इसीलिए सभी की नजरें इस सीट पर टिकी हुई थीं। भाजपा ने भी कांग्र्रेस के दिग्गज नेता के बेटे को सामने देख जोगेंद्र रौतेला के चुनाव की कमान कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्या को सौंप दी। क्योंकि भाजपा जानती है कि यही यशपाल आर्या इंदिरा के भारी विरोध के बाद भी कांग्र्रेस के टिकट पर अपनी पसंद का प्रत्याशी जिता ले गए थे। ऐसे में यशपाल की हल्द्वानी में पकड़ और रणनीतिक कौशल से पार्टी भलीभांति परिचित थी। इसके अलावा जो नया ग्र्रामीण क्षेत्र नगर निगम में शामिल हुआ है, वह कालाढूंगी विधायक बंशीधर भगत का क्षेत्र होने से भाजपा का गढ़ है।
मेयर पद पर रौतेला पसंद भी भगत की माने जा रहे हैं। लिहाजा भगत के लिए रौतेला की जीत खुद में प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई थी। भाजपा के रणनीतिकारों की तीसरी समझदारी यह भी रही कि टीडीसी के पूर्व चेयरमैन हेमंत द्विवेदी को भी प्रचार में उतार दिया। द्विवेदी का भी ग्र्रामीण क्षेत्र में अच्छा प्रभाव है। इस तरह तीनों की सियासी केमिस्ट्री ने आखिरकार हल्द्वानी में कमल खिला ही दिया।
काम आया बंसल और अरोरा का बूथ मैनेजमेंट
भाजपा की जीत के पीछे का बड़ा महत्व बूथ मैनेजमेंट भी रहा। भाजपा प्रत्याशी जोगेंद्र रौतेला जहां टिकट पाकर वोट मांगने में व्यस्त थे, लेकिन पार्टी नेटवर्क अपना काम करता रहा। टोलियां हर गली-मोहल्ले में भाजपा का प्रचार करने में लगी थीं तो मतदान वाले दिन भाजपा के चुनाव संयोजक तरूण बंसल और हरिमोहन अरोरा का बूथ मैनेजमेंट देखते बन रहा था। कई लोगों के पास तो फोन तक पहुंचा कि आपका वोट अभी तक नहीं पड़ा है, इससे मतदाताओं को भी लगा कि एक-एक वोट पर पैनी नजर बनी हुई है। यह लाभ भी पार्टी को भरपूर मिला।
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