अमेरिका, तुर्की, ईरान से आने वाले बेहतर गुणवत्‍ता के सेब उत्‍तराखंड के सेब पर पड़े भारी

अमेरिका तुर्की व ईरान से आने वाले सस्ते और स्वादिष्ट सेब ने रामगढ़ के सेब का स्वाद बिगाड़ दिया है। बड़े स्तर पर विदेशी सेब की आवक से स्थानीय उत्पादकों की स्थिति खराब हो चुकी है। पहले मौसम की मार और अब विदेशी सेब से व्यापार प्रभावित हो गया है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 10:00 AM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 10:00 AM (IST)
अमेरिका, तुर्की, ईरान से आने वाले बेहतर गुणवत्‍ता के सेब उत्‍तराखंड के सेब पर पड़े भारी
अमेरिका, तुर्की, ईरान से आने वाले बेहतर गुणवत्‍ता के सेब उत्‍तराखंड के सेब पर पड़े भारी

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : अमेरिका, तुर्की व ईरान से आने वाले सस्ते और स्वादिष्ट सेब ने रामगढ़ के सेब का स्वाद बिगाड़ दिया है। बड़े स्तर पर विदेशी सेब की आवक से स्थानीय उत्पादकों की स्थिति खराब हो चुकी है। पहले मौसम की मार पड़ी और अब विदेशी सेब से व्यापार ही प्रभावित हो गया है। लगातार घाटा सहने को मजबूर उत्पादक अब बागवानी से ही मुंह मोडऩे लगे हैं।

कश्मीर व हिमाचल के बाद सेब उत्पादन में उत्तराखंड का नाम आता है। यहां नैनीताल सहित कई जिलों में बड़े स्तर पर सेब का उत्पादन किया जा रहा है, मगर इस बार बारिश, ओलावृष्टि आदि के चलते सेब की गुणवत्ता खराब हो गई है। वहीं विदेशी फलों के आयात ने भी सेब काश्तकारों की कमर तोड़ दी है। विदेशी फल आकार में बड़े, सुर्ख लाल रंग के होने से ग्राहक की निगाह पर चढ़ जाते हैं, जबकि उत्तराखंड के सेब को मौसम की मार के चलते बीते कई वर्षों से नुकसान हो रहा है।

टमाटर और प्याज से सस्ते सेब

कुमाऊं की सबसे बड़ी मंडी हल्द्वानी में पहाड़ का सेब बड़े स्तर पर पहुंच रहा है, लेकिन दाम की बात करें तो किसानों के हाथ सिर्फ मायूसी लग रही है। आढ़ती एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष जीवन सिंह कार्की ने बताया कि थोक भाव में सेब 20 से 25 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है, जबकि टमाटर और प्याज इससे अधिक कीमत पर बिक रहे हैं।

मौसम से परेशान सेब बागवान

उत्तराखंड के सेब उत्पादक मौसम की मार से भी परेशान हैं। रामगढ़ के लोद गांव निवासी मोहन राम ने बताया कि उनके पास डिलेसिस व केजी वैरायटी के करीब 600 पेड़ हैं, जिसमें चार साल से लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है। दिल्ली व मुंबई की मंडियों से विदेशी सेब स्थानीय बाजार में पहुंच रहा है, जिससे उनके सेब को बाजार नहीं मिल पा रहा है। नैनीताल जिले के रामगढ़ विकास खंड के सूपी गांव निवासी नारायण सिंह बिष्ट ने बताया कि उनके पास सेब के करीब एक हजार पेड़ हैं, मगर मौसम की मार से बागवानी में लगातार घाटा हो रहा है, जिससे बागवानी से मन उचट रहा है।

उत्पादक नई वैरायटी का सेब लगाएं

मंडी समिति हल्द्वानी के अध्यक्ष मनोज साह ने बताया कि विदेशी सेब देश में पहली बार नहीं आ रहा है। गुणवत्ता के आधार पर सेब के दाम मिलते हैं। उत्पादक नई वैरायटी का सेब लगाएं, जिससे बेहतर दाम मिलेंगे। हल्द्वानी के पूर्व मंडी अध्यक्ष सुमित हृदयेश ने बताया कि बहुत दुख का विषय है कि सेब का बागवान परेशान है। प्रोत्साहन के लिए सरकार कोई नया सिस्टम नहीं बना पा रही है। उत्तराखंड में सेब बागवानी के लिए हिमाचल का मॉडल लागू करने की जरूरत है।

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