एसएससी सदस्य पद की भर्ती में नाम खारिज करने को चुनौती, चर्चित आइएफएस संजीव चतुर्वेदी ने हाई कोर्ट में दायर की याचिका

कोर्ट ने इस मामले में भारत सरकार उत्तराखंड सरकार कर्मचारी चयन आयोग डाक विभाग के साथ ही एसएससी सदस्य पद पर चयनित अशोक कुमार को नोटिस जारी किया है। साथ ही चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Fri, 26 Feb 2021 08:29 AM (IST) Updated:Fri, 26 Feb 2021 08:29 AM (IST)
एसएससी सदस्य पद की भर्ती में नाम खारिज करने को चुनौती, चर्चित आइएफएस संजीव चतुर्वेदी ने हाई कोर्ट में दायर की याचिका
उन्होंने पूरी चयन प्रक्रिया को निरस्त करने, सीबीआई जांच करने की मांग की है।

जागरण संवाददाता, नैनीताल : कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) के सदस्य पद पर नियुक्ति मामले में चर्चित आइएफएस संजीव चतुर्वेदी का नाम खारिज करने का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है। कोर्ट ने इस मामले में भारत सरकार, उत्तराखंड सरकार, कर्मचारी चयन आयोग, डाक विभाग के साथ ही एसएससी सदस्य पद पर चयनित अशोक कुमार को नोटिस जारी किया है। साथ ही चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

 आइएफएस संजीव ने याचिका दायर कर कहा है कि उनके दस्तावेजों में चार जगह पर हेरफेर किया गया है। सबसे गंभीर धोखाधड़ी उनकी जन्मतिथि को लेकर की गई है। उनकी जन्मतिथि 21 दिसंबर 1974 है। जबकि कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय व केंद्र के चयन किए गए अभिलेखों में 13 जुलाई 1962 या 57 साल सात माह दर्शाई गई है।

दूसरा, आवेदन की अंतिम तिथि 23 मार्च 2020 थी। जिसके लिए उत्तराखंड सरकार ने उन्हें 19 मार्च 2020 को सहमति पत्र व अनापत्ति पत्र जारी कर केंद्र सरकार को भेज दिया था। पोस्ट ऑफिस के ट्रेकिंग रिपोर्ट के अनुसार यह पत्र 20 मार्च को 3:31 बजे डीओपीटी को प्राप्त हो गया। बावजूद इसके डीओपीटी ने चयन दस्तावेजों में पत्र की प्राप्ति 29 मई दिखाई है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद पक्षकारों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

जरूरी थी पीजी डिग्री, पर शर्त को शिथिल कर दे दिया अनुमोदन

याचिकाकर्ता संजीव के अनुसार एसएससी सदस्य पद के लिए पीजी डिग्री की योग्यता अनिवार्य थी। 1998 के गजट नोटिफिकेशन के अनुसार पीजी एमएससी भारतीय वन सेवा की एमएससी फोरेस्ट्री के समतुल्य मानी गई है मगर डीओपीटी ने इस मामले में इसे नहीं माना। इस पद के लिए भारतीय रेल सेवा के अधिकारी रहे अशोक कुमार का चयन कर लिया गया। जबकि उनकी पीजी डिग्री पर भी विवाद है। उन्होंने पूरी चयन प्रक्रिया को निरस्त करने, सीबीआई जांच करने, चयन प्रक्रिया में शामिल अफसरों पर सीबीआई से मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। 

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