देश के लिए कुर्बान होने वाले केंद्रीय सशस्त्र बल कार्मियों को भी मिले शहीद का दर्जा
केंद्रीय सशस्त्र बल देश की सुरक्षा के लिए हर तरह से अपनी सेवा दे रहे हैं। इसलिए इस काम में अपनी जान गंवाने वाले केंद्रीय सशस्त्र बल के कार्मिकों को भी शहीद का दर्जा दिया जाए। यह मुद्दा केंद्रीय सशस्त्र बलों के पूर्व कार्मिकों की बैठक में उठाया गया है।
हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : केंद्रीय सशस्त्र बल (सीआरपीएफ) देश की सुरक्षा के लिए हर तरह से अपनी सेवा दे रहे हैं। इसलिए इस काम में अपनी जान गंवाने वाले केंद्रीय सशस्त्र बल के कार्मिकों को भी शहीद का दर्जा दिया जाए। यह मुद्दा केंद्रीय सशस्त्र बलों के पूर्व कार्मिकों की बैठक में उठाया गया है। केंद्रीय सशस्त्र बल पूर्व कार्मिक संगठन कुमाऊं मंडल की बैठक रविवार को सीआरपीएफ काठगोदाम के ग्रुप सेंटर में हुई। इसमें कुमाऊं के विभिन्न जिलों के अतिरिक्त दिल्ली से भी पदाधिकारियों शामिल हुए।
बीएसएफ के पूर्व डीआइजी एके तिवारी ने कहा कि उत्तराखंड सैनिक बाहुल्य क्षेत्र है। ऐसे में सेवारत व सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए संघर्ष जारी रहेगा। सैनिक सिस्टर भावना शर्मा ने कहा कि मिलिट्री की ही तरह केंद्रीय सशस्त्र बल कार्मिकों को सेवा के दौरान दिवंगत होने पर शहीद का दर्जा दिया जाए। वर्ष, 2000 से बंद पेंशन की फिर से बहाली की जाए। इसके लिए कोर्ट में याचिका भी दायर की गई है। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन नैनीताल की उपाध्यक्ष प्रीति भट्ट ने कहा कि वीरांगनाओं को किसी भी तरह की समस्या है तो वह निश्शुल्क परामर्श व विधिक सहायता प्रदान करेंगी।
मदिरा किसी भी सीएपीएफ कैंटीन से प्राप्त करने के लिए नियम बनाने पर भी चर्चा की गई। इस दौरान नैनीताल अध्यक्ष दरबान सिंह बोहरा, डीएनएस बिष्ट, रूप सिंह बिष्ट, सीएस मर्तोलिया, हीरा सिंह, अनूप सिंह बिष्ट, बीएस मर्तोलिया, डीडी पंत, एबी लोहनी, समता भट्ट, गीता खोलिया, राजेंद्र सिंह बिष्ट, पीआरओ विमल कुमार आदि उपस्थित थे।
बेहतर तालमेल की आवश्यकता
केंद्रीय सशस्त्र बल पूर्व कार्मिक संगठन कुमाऊं के मंडलाध्यक्ष मनोहर नेगी ने कहा कि हमें अद्र्धसैनिक बल से केंद्रीय सशस्त्र बल का दर्जा दे दिया गया है। इसके बाद भी एसएसबी, आइटीबीपी, सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआइएसआर, एआर में तालमेल नहीं है। इसलिये सेना की तर्ज पर एक चीफ सीएपीएफ होना चाहिए। जिससे आपस में बेहतर तालमेल बनाया जा सके। सेना की एमएसपी की तरह स्पेशल पे का गठन किया जाए, जिससे पेंशन की विसंगतियां दूर की जा सकें।
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