रावण कुल के पुतले फूंकने की विशिष्ट परंपरा संजोए है अल्मोड़ा, कुल्लू के बाद सर्वाधिक प्रसिद्ध है यहां का दशहरा

मैसूर कुल्लू मनाली के बाद अल्मोड़ा का दशहरा पूरे देश में प्रसिद्ध है। यहां न सिर्फ रावण व कुंभकर्ण के पुतले फूंके जाते हैं बल्कि रावण कुल के 30 पुतले कलात्मक रूप से बनाकर फूंके जाते हैं। उससे पहले उनकी भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Thu, 14 Oct 2021 04:49 PM (IST) Updated:Thu, 14 Oct 2021 04:49 PM (IST)
रावण कुल के पुतले फूंकने की विशिष्ट परंपरा संजोए है अल्मोड़ा, कुल्लू के बाद सर्वाधिक प्रसिद्ध है यहां का दशहरा
रावण का पुतला फूंकने की शुरुआत 1925 के बाद से मानी जाती है।

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : दशकों से सांस्कृतिक नगरी रावण कुल के पुतले फूंकने की विशिष्ट परंपरा संजोए हुए है। यह एक प्रतीक है बुराई पर अच्छाई की जीत का। धार्मिक सदभावना की अद्भुत मिसाल पेश करते हुए इस विजय के उल्लास में हर कोई डूब जाता हैं। मैसूर, कुल्लू मनाली के बाद अल्मोड़ा का दशहरा पूरे देश में प्रसिद्ध है। यहां न सिर्फ रावण व कुंभकर्ण के पुतले फूंके जाते हैं, बल्कि रावण कुल के 30 पुतले कलात्मक रूप से बनाकर फूंके जाते हैं। उससे पहले उनकी भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है। इस बार कोविड नियमों के तहत इनकी संख्या आधी रखी गई है।

सांस्कृतिक नगरी में रामलीला मंच का इतिहास बहुत पुराना है। रावण का पुतला फूंकने की शुरुआत 1925 के बाद से मानी जाती है। 1936 में जौहरी मोहल्ले में कुंभकर्ण का पुतला बनाया जाता था। नंदादेवी, लाला बाजार के कलाकार रावण का पुतला बनाते थे जो आज भी कायम है। 1974 में पलटन व थाना बाजार वालों ने मेघनाद का पुतला बनाया। 1982 से कुछ और मोहल्ले व रामलीला कमेटियां पुतले बनाने लगीं। 1990 से तो नगर में रावण परिवार के 30 से ज्यादा पुतले बनाए जाने लगे। कोविड काल के कारण इस वर्ष पुतलों की अधिकतम सीमा 15 रखी गई है।

रावण कुल के 15 पुतलों का होगा दहन

रावण, अक्षय कुमार, कोलकेतु, कुंड, विरत, धुम्राक्ष, दुषण, कालकासुर, ज्वालासुर, अतिकाय, मारिच, ताड़िका, खर, देवांतुक, मायासु।

देशी-विदेशी बनते है इस पल का गवाह

विश्वप्रसिद्ध दशहरे का गवाह स्थानीय ही नही बल्कि देशी-विदेशी सैलानी भी बनते है। आज पूरे विश्व में यहां के दशहरे की एक अलग पहचान हैं। लोग इस क्षण को कैमरे में कैद करना नहीं भूलते। 

पुतलों की निकलेगी शोभा यात्रा

अल्मोड़ा दशहरा महोत्सव समिति दशहरे के दिन दुर्गा प्रतिमाओं के विर्सजन के साथ रावण परिवार के पुतलों की भव्य शोभा यात्रा निकालेगी। समिति के अध्यक्ष अजीत सिंह कार्की ने बताया कि रावण कुल के पुतलों का जुलूस बाजार से होते हुए स्टेडियम पहुंचेगा। जहां उनका दहन किया जाएगा। उद्घाटन शुक्रवार 15 अक्टूबर को विजय जोशी टैक्सी स्टैंड में होगा। मुख्य अतिथि वरिष्ठ कलाकार दिवान सिंह कनवाल होंगे। 

संस्कृतिकर्मी राजेंद्र तिवारी बताते हैं कि अल्मोड़ा में पुतले नहीं बल्कि कलात्मक तरीके से बेहद सुंदर बनाए जाते हैं। रंगरूप, कदकाठी व उनके चरित्र के अनुरूप चेहरा रौबदार और आकर्षक बनाया जाता है। यही नगर के पुतलों की विशेषता है जो अन्य जगहों पर कम ही देखने को मिलती है।

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