नैनीताल जिले में दहेज हत्या व दहेज उत्पीडऩ के मामले कम हुए, 80 फीसद मामलों में दोषियों को सजा

नैनीताल जिले में दहेज हत्या व दहेज उत्पीडऩ के मामलों में 50 प्रतिशत से अधिक कमी दर्ज की गई है। जिला अदालत में विचाराधीन मामले इसकी गवाही दे रहे हैं। अदालतों में महिला अपराधों के 80 फीसद तक मामलों में दोषियों को सजा सुनाई गई है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 08:39 AM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 08:39 AM (IST)
नैनीताल जिले में दहेज हत्या व दहेज उत्पीडऩ के मामले कम हुए, 80 फीसद मामलों में दोषियों को सजा
नैनीताल जिले में दहेज हत्या व दहेज उत्पीडऩ के मामले कम हुए, 80 फीसद मामलों में दोषियों को सजा

किशोर जोशी, नैनीताल : नैनीताल जिले में दहेज हत्या व दहेज उत्पीडऩ के मामलों में 50 प्रतिशत से अधिक कमी दर्ज की गई है। जिला अदालत में विचाराधीन मामले इसकी गवाही दे रहे हैं। अदालतों में महिला अपराधों के 80 फीसद तक मामलों में दोषियों को सजा सुनाई गई है।

महिला कानूनों का डर कहें या समाज में बेटियों के प्रति बदला नजरिया, मगर जिले में दहेज के कारण महिलाओं की हत्या व उत्पीडऩ के मामले लगातार कम हो रहे हैं। महिला उत्पीडऩ व दहेज हत्या के मामलों में लालकुआं क्षेत्र टाप पर है जबकि पर्वतीय क्षेत्र में यह लगातार घट रहा है। जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने बताया कि महिला कानूनों और शिक्षा को लेकर बढ़ती जागरूकता व बेटियों-महिलाओं के प्रति समाज का नजरिया बदलने से हालात बदल रहे हैं।

अदालतों का भी महिला अपराधों पर सख्त रवैया इसकी प्रमुख वजह बन रहा है। डीजीसी के अनुसार कोविड महामारी से पहले हर माह दहेज हत्या के औसतन दो मामले जिला अदालत में आते थे मगर अब यह संख्या कम हो गई है। प्रसिद्ध समाज शास्त्री प्रो. भगवान सिंह बिष्टï के अनुसार शिक्षा का स्तर बढऩे से युवा दहेज को दरकिनार कर योग्य जीवन साथी चुनने को प्राथमिकता दे रहे हैं।

महिला अधिकार कार्यकर्ता कंचन भंडारी ने बताया कि दहेज हत्या के मामले कम होना वाकई सुकून देने वाला है। इसकी वजह महिला कानूनों को लेकर जागरूकता, सामाजिक चेतना में वृद्धि, शिक्षा भी है। साथ ही बेटा-बेटी को लेकर भेद भी कम हुआ है।

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