बैंक में संपत्ति बंधक रख दो करोड़ लोन लिया, खाता एनपीए होने पर बंधक संपत्‍त‍ियां बेच दीं, मुकदमा दर्ज

बैंक में संपत्ति बंधक रख दो करोड़ रुपये का ऋण ले बंधक रखी संपत्ति धोखे से बेच दी। ऋण जमा न कर पाने के कारण खाता एनपीए होने के बाद जब बैंक के संज्ञान में मामला आया तो होश उड़ गए।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 12:05 PM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 12:05 PM (IST)
बैंक में संपत्ति बंधक रख दो करोड़ लोन लिया, खाता एनपीए होने पर बंधक संपत्‍त‍ियां बेच दीं, मुकदमा दर्ज
बैंक में संपत्ति बंधक रख दो करोड़ लोन लिया, खाता एनपीए होने पर बंधक संपत्‍त‍ियां बेच दीं, मुकदमा दर्ज

रुद्रपुर, जागरण संवाददाता : बैंक में संपत्ति बंधक रख दो करोड़ रुपये का ऋण ले बंधक रखी संपत्ति धोखे से बेच दी। ऋण जमा न कर पाने के कारण खाता एनपीए होने के बाद जब बैंक के संज्ञान में मामला आया तो होश उड़ गए। पुलिस को तहरीर दे जब अमानत में खयानत का मामला दर्ज करवाने का प्रयास किया। पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज न करने पर बैंक ने न्यायालय की शरण ली।

वरिष्ठ शाखा प्रबंधक अल्मोड़ा अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि. मीरा मार्ग हल्द्वानी जनपद नैनीताल नवीन चंद्र पाटनी ने न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया है। जिसमें उन्‍होंने कहा कि उनकी शाखा से रनवीर नागपाल पुत्र स्व. दामोदार दास नागपाल हाल निवासी नागपाल ट्रेडर्स बरेली रोड हल्दवानी जनपद नैनीताल को दो करोड़ रुपये का ऋण दिया था। जिसके एवज में रनवीर नागपाल ने अपनी विभिन्न संपत्तियां बैंक में बंधक के रूप में रखी थीं। जिसमें फुलसुंगा परगना रुद्रपुर की संपत्ति को भी बंधक रखा गया था।

रनवीर नागपाल द्यारा अपना ऋण जमा न कर पाने के कारण खाता एनपीए हो गया। आरोप है रनवीर नागपाल ने बैंक में बंधक रखी संपत्ति का भारमुक्त प्रमाण पत्र निकलवाने के बाद उसे बेच दिया। बैंक में बंधक रखी संपत्ति बेचने की शिकायत जब ट्रांजिट कैंप थाने में की गई तो पुलिस ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने रनवीर नागपाल के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 व 406 के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।

जानिए क्‍या होता है एनपीए

एनपीए यानी नॉन-परफॉर्मिंग एसेट यानी गैर निष्पादित परिसंपत्तियां ऋणों एवं एडवांस के लिए एक वर्गीकरण को संदर्भित करती है जो डिफॉल्ट या बकाया राशि (एरियर) में हैं। कोई लोन एरियर में तब होता है जब मूलधन या ब्याज भुगतान में देरी होती है या उसे अदा नहीं किया जाता। लोन डिफॉल्ट तब होता है जब लेंडर लोन एग्रीमेंट को टूटा हुआ मानते हैं और ऋण लेने वाला देयता को पूरा करने में अक्षम होता है।

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