नैनीताल में बढ़ा कार्बन मोनो आक्साइड, मध्य हिमालयी क्षेत्र भी चपेट में

आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वायु मंडलीय विज्ञानी डा. मनीष नाजा के अनुसार मध्य हिमालय रीजन में इन दिनों कार्बन मोनो आक्साइड की मात्रा सात सौ से एक हजार पीपीबी पहुंच गई है जबकि सामान्य रूप से औसत 150 से 200 पीपीबी के बीच रहती है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Sat, 06 Nov 2021 03:18 PM (IST) Updated:Sat, 06 Nov 2021 03:18 PM (IST)
नैनीताल में बढ़ा कार्बन मोनो आक्साइड, मध्य हिमालयी क्षेत्र भी चपेट में
इसकी एक वजह दीपावली में पटाखों का धुआं भी माना जा रहा है।

जागरण संवाददाता, नैनीताल : सरोवर नगरी समेत मध्य हिमालय क्षेत्र की आबोहवा करीब तीन गुना खराब हो चली है। कार्बन मोनो आक्साइड की मात्रा एक हजार तक जा पहुंची है। आने वाले दिनों में भी इसकी मात्रा में सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। इसकी एक वजह दीपावली में पटाखों का धुआं भी माना जा रहा है।

 आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वायु मंडलीय विज्ञानी डा. मनीष नाजा के अनुसार मध्य हिमालय रीजन में इन दिनों कार्बन मोनो आक्साइड की मात्रा सात सौ से एक हजार पीपीबी (पार्ट पर बिलियन) पहुंच गई है, जबकि इस क्षेत्र में सामान्य रूप से औसत 150 से 200 पीपीबी के बीच रहती है। इसमें दोराय नही कि कार्बन मोनो आक्साइड बढऩे के पीछे पटाखों से निकलने वाला धुआं एक कारण हो सकता है, लेकिन शीतकाल में और भी कई कारणों से इसमें वृद्घि होती है।

एरीज में वायु प्रदुषण मापन के लिए कई उपकरण स्थापित किए गए हैं, जिसके जरिए इस पर शोध किए जा रहे है। डा. नाजा ने बताया कि कार्बन मोनो आक्साईड की मात्रा में वृद्घि स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। नवजात शिशुओं के अलावा बुजूर्गों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक होती है। हृदय रोगियों को भी इससे बड़ा खतरा रहता है, जिस कारण इस दूषित गैस का रोजाना आंकलन किया जाता है।

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