पहाड़ पर स्वरोजगार के नए आयाम खोलेगी नशामुक्त भांग की खेती

बागेश्वर जिले में जल्द ही भांग (बाटनिकल नाम कैनबिस इंडिका) रोजगार के नए आयाम खोलने जा रहा है। जिले में नशामुक्त खेती के लिए हिमालय मोंक नाम की कंपनी ने आवेदन भी कर दिया है। जल्द ही इसकी खेती शुरू हो जाएगी।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sun, 06 Dec 2020 09:17 AM (IST) Updated:Sun, 06 Dec 2020 09:17 AM (IST)
पहाड़ पर स्वरोजगार के नए आयाम खोलेगी नशामुक्त भांग की खेती
पहाड़ पर स्वरोजगार के नए आयाम खोलेगी नशामुक्त भांग की खेती

बागेश्वर, जागरण संवाददाता : बागेश्वर जिले में जल्द ही भांग (बाटनिकल नाम कैनबिस इंडिका) रोजगार के नए आयाम खोलने जा रहा है। जिले में नशामुक्त खेती के लिए हिमालय मोंक नाम की कंपनी ने आवेदन भी कर दिया है। जल्द ही इसकी खेती शुरू हो जाएगी। भांग की खेती अब लाइसेंस बनाकर आसानी से की जा सकती है। जिससे किसानों की आय बढ़ेगी और भांग के बीज, रेशे भी बेचे जा सकेंगे। किसान को भूमि का प्रस्ताव तैयार करना होगा और आबकारी विभाग के निरीक्षण के बाद लाइसेंस दिया जाएगा। योजना किसानों की बेहतरी के लिए बनाई गई है। जो भांग की खेती होगी उसमें टेट्रा हाइड्रो केनबिनोल (टीएचसी) का स्तर 0.3 प्रतिशत होगा।

जिले में भांग की खेती के लिए हिमालयन मोंक ने आवेदन कर दिया है। पहले चरण में गरुड़ ब्लाक के भोजगण में करीब 30 नाली पर इसकी खेती की जाएगी। इसके बाद धीरे-धीरे इसे तीन हेक्टेयर भूमि पर किए जाने का प्रस्ताव हैं। कंपनी के कानूनी सलाहकार गिरीश कोरंगा ने बताया कि सभी औपचारिकताएं पूरी कर दी गई है। जिलाधिकारी से अनुमति मिलते ही खेती शुरु कर दी जाएगी। कंपनी के पार्टनर सतीश पांडे ने बताया कि खेती का उद्देश्य क्षेत्र में स्वरोजगार को बढ़ावा देना है। ताकि क्षेत्र से हो रहे पलायन को रोका जा सके। इसकी खेती में काफी संभावनाएं है। जिस पर कार्य किया जाएगा।

कपड़े और दवाइयां होंगी तैयार

भांग से बनने वाले सीबीडी असयल का प्रयोग साबून, शैंपू व दवाईयां बनाने में किया जाएगा। हेम्प से निकलने वाले सेलूलोज से कागज बनाने में होगा। हेम्प प्लास्टिक तैयार होगी। जो बायोडिग्रेबल होगी। वह समय के साथ मिट्टी में घुल जाएगी। हेम्प फाइबर से कपड़े बनाए जाएंगे। हेम्प प्रोटीन बेबी फूड बाडी बिल्डिंग में प्रयोग होगा तो हेम्प ब्रिक वातावरण को शुद्ध करेगा। यह कार्बन को खिंचता है। जिससे वातावरण में कार्बन की मात्रा कम होगी। यह समय के साथ कार्बन खींचकर ब्रिक को और सख्त करेगी।

भांग का पहाड़ में उपयोग

भांग के रेशे का प्रयोग कई देशों में सजावटी सामान बनाने के लिए किया जा रहा है। पहाड़ में भांग के रेशों से अभी भी रसिस्यां बनाई जाती हैं। भांग के बीज का प्रयोग चटनी बनाने के साथ ही सब्जी और मसाले में किया जाता है। बागेश्वर के जिलाधिकारी विनीत कुमार ने बताया कि अभी एक कंपनी ने आवेदन दिया है। जरुरी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद वह इसकी खेती कर सकेंगे। यह बहुपयोगी है। इससे स्वरोजगार के भी अवसर खुलेंगे।

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