कोरोना की मार से बेहाल मोमबत्ती उद्योग को दिवाली और पर्यटन सीजन से आस
देश-दुनिया में प्रसिद्ध नैनीताल के मोमबत्ती उद्योग की कोरोना महामारी की वजह से कमर टूट गई है। गलवान घाटी में झड़प के बाद दोनों देशों के बीच उपजे विवाद के कारण से चीन निर्मित मोमबत्ती की आवक बंद है।
नैनीताल, जेएनएन : देश-दुनिया में प्रसिद्ध नैनीताल के मोमबत्ती उद्योग की कोरोना महामारी की वजह से कमर टूट गई है। गलवान घाटी में झड़प के बाद दोनों देशों के बीच उपजे विवाद के कारण से चीन निर्मित मोमबत्ती की आवक बंद है, वहीं कोरोना के कारण पर्यटकों की आमद थमने से भी मांग न के बराबर हो गई थी। नैनीताल आने वाले पर्यटक यहां की यादों के तौर पर मोमबत्ती से बने खूबसूरत गिफ्ट आइटम लेना पसंद करते हैं। पर लॉकडाउन व कोरोना के कारण पर्यटन संबंधी गतिविधियां ठप पड़ने की वजह से सभी कारोबार की तरह इसे भी काफी नुकसान पहुंचा। मोमबत्ती के कारोबार से आजीविका चलाने वाले करीब तीन सौ परिवारों को पर्यटन सीजन और दीवाली से उम्मीदें हैं।
नैनीताल में मोमबत्ती से बनने वाले गिफ्ट आइटम का हर साल लाखों में कारोबार होता रहा है। शहर के बाजार में गिफ्ट आइटम की दुकानों से भरे पड़े हैं। मेहरा कैंडल्स के स्वामी गौरव मेहरा बताते हैं कि पिछले साल से चायना निर्मित मोमबत्ती की आवक बंद हो चुकी थी, मगर कोरोना लॉकडाउन के बाद यहां बनी मोमबत्तियां भी नहीं बिक रही है । गौरव का कहना है कि पर्यटकों की आमद थमने के कारण कारोबार पर असर पड़ा है।
उनका कहना है कि स्थानीय या आसपास के राज्यों के पर्यटक मोमबत्ती कम खरीदते हैं। इस वजह से सजावटी मोमबत्ती बनाने का काम फिलहाल बंद किया है। मार्च से अब तक महज 50 हजार की सजावटी मोमबत्ती की बिक्री हुई है। जबकि पिछले सालों तक दस से 20 लाख तक बिक्री होती थी। दीपावली के लिए दस रुपए से 30 रुपए तक मूल्य की मोमबत्ती बनाई गई है। उद्योग दम न तोड़ दे इसलिए यह किया जा रहा है। मल्लीताल में मोमबत्ती के विक्रेता विवेक साह का कहना है कि जब तक पर्यटकों की आवक पूरे देश से नहीं होगी, मोमबत्ती कारोबार में बूम आने की कोई संभावना नहीं है।