हिमालयी क्षेत्र की औषधीय पादप प्रजातियों के संक्षरण पर मंथन, शोध कार्यों का सीधा लाभ किसानों तक पहुंचाने की पहल

संस्थान के जैवविविधता केंद्र अध्यक्ष डा. आइडी भट्ट ने कहा कि भारतीय हिमालयी क्षेत्र में आजीविका संवर्धन के लिए शोध कार्यों के जरिये जैव संसाधनों को मुख्य धारा से जोडऩे की पहल की गई है। यह पादप प्रजातियों के कृषिकरण व संरक्षण में मददगार बनेगा।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Fri, 02 Jul 2021 05:45 PM (IST) Updated:Fri, 02 Jul 2021 05:45 PM (IST)
हिमालयी क्षेत्र की औषधीय पादप प्रजातियों के संक्षरण पर मंथन, शोध कार्यों का सीधा लाभ किसानों तक पहुंचाने की पहल
तय हुआ कि शोध कार्यों का लाभ सीधे किसानों तक पहुंचाने की दिशा में और तेजी से कदम बढ़ाए जाएंगे।

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : भारतीय हिमालयी क्षेत्र की बहुमूल्य औषधीय पादप प्रजातियों की खेती व संरक्षण के लिए विज्ञानी प्रयास तेज कर दिए गए हैं। देश के विभिन्न संस्थानों के विज्ञानियों ने सुझाव दिए कि बाजार में औषधीय पादप अतीस, अष्टïवर्घा, भोजपत्र, जंगली जीरे आदि की मांग ज्यादा है। लिहाजा इनके कृषिकरण व संरक्षण की जरूरत बढ़ गई है। तय हुआ कि शोध कार्यों का लाभ सीधे किसानों तक पहुंचाने की दिशा में और तेजी से कदम बढ़ाए जाएंगे।

जीबी पंत हिमालयी पर्यावरण शोध संस्थान कोसी कटारमल में हिमालयी 'हिमालयी औषधीय पाद प्रजातियों का संरक्षण व मूल्य श्रृंखला विकास' विषयक राष्ट्रीय स्तर का वेबिनार हुआ। संस्थान के जैवविविधता केंद्र अध्यक्ष डा. आइडी भट्ट ने कहा कि भारतीय हिमालयी क्षेत्र में आजीविका संवर्धन के लिए शोध कार्यों के जरिये जैव संसाधनों को मुख्य धारा से जोडऩे की पहल की गई है। यह पादप प्रजातियों के कृषिकरण व संरक्षण में मददगार बनेगा। विज्ञानी डा. विक्रम सिंह नेगी ने औषधीय पादपों के क्षेत्र में शोध कार्य गिनाए। 

एचएपीपीआरसी श्रीनगर गढ़वाल के डा. एमसी नौटियाल ने औषधीय पादप प्रजातियों के लिए पारिस्थितिक स्थिति, प्रजाति समृद्धि, संरक्षण, पुनर्जनन क्षमता, प्रसार, कच्चे माल की उपलब्धता, उद्योगों में मांग आदि पर राय दी। एनएमपीबी दिल्ली के क्षेत्रीय निदेशक डा. अरुण चंद्रन ने बताया कि चिरायता व कुटकी आदि के लिए कई योजनाए हैं। एचएफआरआई शिमला के निदेशक डा. एसएस सामंत ने औषधीय पादप प्रजातियों की वास्तविक संख्या व बाजार में मूल्य के मापदंड बताए। वेबिनार दो सत्रों में चला। 

इन्होंने भी दिए व्याख्यान 

डा. अरुण चंद्रन, डा. एसएस सामंत, डा. एकेएस रावत, डा. भरत प्रधान, हिमांशु, डा. जेएस बुटोला, डा. महेश जोशी, डा. निलाद्री बाघ, डा. पंकज रतूड़ी, डा. पंकज तिवारी, डा. राजीव गोगोई, डा. विनोद भट्ट, विनोद बिष्ट। संस्थान की ओर से डा. सुबोध ऐरी, डा. अरुण जुगरान, डा. संदीप रावत, डा. कैलाश गैड़ा, डा. एम सरकार, डा. केएस कनवाल, डा. विशफुली, डा. बीना पांडे, दीप तिवारी, अजय नेगी। 

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