बीपी व किडनी की मरीज 84 वर्षीय भागीरथी आमा ने कोरोना को दी मात

चम्पावत की तल्ली मादली निवासी 80 वर्षीय भागीरथी ने गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होने के बाद भी वह 12 दिनों में कोरोना को हराकर घर लौट आई। कोरोना से जंग जीतने की खुशी उनके चेहरे पर साफ दिख रही थी।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 05:47 PM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 05:47 PM (IST)
बीपी व किडनी की मरीज 84 वर्षीय भागीरथी आमा ने कोरोना को दी मात
उनके घर लौटने से डॉक्टरों के साथ अस्पताल स्टॉफ में खुशी का माहौल है।

विनय कुमार शर्मा, चम्पावत। आज के समय में किसी को कोरोना पॉजिटिव होने की आ जाए तो आधी जान तो उसी वक्त निकल जाती है। वहीं अगर आक्सीजन लेवल 90 से नीचे गिरना शुरू हो जाए तो मरीज के साथ घर वालों की टेंशन भी बढ़ जाती है। लेकिन जज्बा, जुनून और दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो हर मुकाम हासिल किया जा सकता है। यही बात बीमारी पर भी लागू होती है। चम्पावत की तल्ली मादली निवासी 80 वर्षीय भागीरथी ने गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होने के बाद भी वह 12 दिनों में कोरोना को हराकर घर लौट आई। कोरोना से जंग जीतने की खुशी उनके चेहरे पर साफ दिख रही थी। उनके घर लौटने से डॉक्टरों के साथ अस्पताल स्टॉफ में खुशी का माहौल है।

    चम्पावत के तल्ली मादली निवासी 84 वर्षीय भागीरथी देवी पत्नी स्व. धर्म सिंह रावत बीपी, किडनी व दोनों फेफड़ों में निमोनिया होने की शिकायत पर एक मई को स्वजन उन्हें जिला अस्पताल ले गए। उनका ऑक्सीजन लेवल 20 था। डॉक्टर अजय ने उनकी कोरोना जांच कराई तो उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें कोविड आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कर इलाज शुरू किया। पहले फिजिशियन डा. अजय कुमार व डा. गौरांग जोशी ने उनका उपचार किया। ड्यूटी बदलने के बाद डा. प्रदीप बिष्ट, डा. वर्षा कंबोज व डा. शोभित तिवारी ने सुबह शाम उनका उपचार किया। नतीजा यह हुआ कि 12 दिन में भागीरथी आमा ने कोरोना को मात दी और डॉक्टरों से घर जाने की जिद करने लगी। जिस पर डॉक्टरों ने 12 मई को उन्हें डिस्चार्ज कर दिया। भागीरथी की बहू रीता रावत ने बताया कि उन्हें ब्लड प्रेशर की बीमारी होने के साथ किडनी में भी दिक्कत थी।

जिस वक्त भागीरथी को अस्पताल में भर्ती किया गया था उस वक्त उनका ऑक्सीजन लेबल महज 20 प्रतिशत तक पहुंच गया था। इस स्थिति में उम्र और पहले से मौजूद बीमारी के चलते उनके बचने की उम्मीद काफी कम थी। लेकिन उनके हौंसले और जज्बे ने अनहोनी की अटकलों पर पानी फेरते हुए जिंदगी की जंग जीत ली। भागीरथी के तीन पुत्र और एक पुत्री है। सभी पुत्र अपने परिवार के साथ बाहर नौकरी करते हैं। उनकी देखरेख सबसे छोटी बहू रीता रावत करती हैं। रीता ने बताया कि उनकी सास स्वस्थ्य हैं। कोरोना के कारण उन्हें कमजोरी काफी अधिक है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही कमजोरी से उन्हें निजात मिल जाएगी। उनके ठीक होकर घर जाने से डॉक्टरों व स्टॉफ में खुशी का माहौल है।

घर जाने पर ही रोटी खाने की करने लगी जिद

भागीरथी का उपचार कर रहे डा. गौरांग जोशी ने बताया कि वह जैसे-जैसे ठीक होने लगी वह घर जाने की जिद करने लगी। अंतिम दिन तो उन्होंने खाना खाने भी मना कर दिया। उन्होंने कहा कि जब तक घर नहीं जाऊंगी तब तक खाना नहीं खाऊंगी। उसके बाद ही उनको डिस्चार्ज किया। भागीरथी कोरोना से जंग लड़ रहे मरीजों के नजीर हैं।

डा. आरके जोशी, पीएमएस, जिला अस्पताल चम्पावत ने बताया कि भागीरथी जिस दिन अस्पताल में भर्ती हुई उनके दोनों फेफड़ों में निमोनिया फैल गया था। ऑक्सीजन लेवल भी 20 पहुंच गया। डॉक्टरों की सघन निगरानी व उपचार के बाद उनका ऑक्सीजन लेवल 90 पहुंच गया। जिसके बाद वह घर जाने की जिद करने लगी। हालत ठीक होने के बाद उन्हें 12 मई को डिस्चार्ज कर दिया गया। उनके ठीक होने के बाद उनके पूरे परिवार में खुशी का महौल है। -

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