कोरोना ने फिर तोड़ी पर्यटन कारोबार की कमर, नैनीताल में 70 फीसद बुकिंग कम हो गई
कोरोना का कहर एक बार फिर उत्तराखंड के पर्यटन कारोबार को चौपट करने वाला है। इसकी आहट ही नहीं मिली है बल्कि गंभीर असर भी दिखने लगा है। नैनीताल में पिछले एक सप्ताह तक खूब भीड़ रही मगर पिछले दो दिन से अब आवक बेहद कम हो गई है।
नैनीताल, जागरण संवाददाता : कोरोना का कहर एक बार फिर उत्तराखंड के पर्यटन कारोबार को चौपट करने वाला है। इसकी आहट ही नहीं मिली है बल्कि गंभीर असर भी दिखने लगा है। नैनीताल में पिछले एक सप्ताह तक खूब भीड़ रही मगर पिछले दो दिन से अब आवक बेहद कम हो गई है। नई बुकिंग ठप सी हो गई है। जिससे होटल रेस्टोरेंट कारोबारी परेशान हैं। एक अनुमान के अनुसार इस सप्ताह करीब 70 फीसद बुकिंग कम हो गई है।
कोरोना ने फिर से पर्यटन कारोबार को संक्रमित कर दिया है। गुड फ्राइडे वाले या पिछले सप्ताह तक नैनीताल में अचानक पर्यटकों की आमद बढ़ी। पर्यटक वाहनों से जाम भी लगा, जिसे खोलने में पुलिस को मशक्कत करनी पड़ी। वहीं इस सप्ताह अचानक पर्यटकों की आमद घट गई तो कारोबारी भी चिंता में पड़ गए। चिंता इसलिए अधिक है 15 अप्रैल से पर्यटन सीजन औपचारिक रूप से शुरू माना जाता है, मगर सीजन की अनौपचारिक शुरुआत अप्रैल पहले सप्ताह से ही हो जाती है। पिछली बार लॉकडाउन की सबसे बड़ी मार होटल, रेस्टोरेंट, नौकायन, टैक्सी, टूर एंड ट्रेवल्स पर पड़ी थी। अनलॉक के बाद हालात सुधरने लगे थे।
इस बार पर्यटन से जुड़े कारोबारियों को बेहतर व्यवसाय की उम्मीद थी, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने गंभीर संकट पैदा कर दिया है। इस सप्ताह अब पर्यटकों की आवक बेहद कम हो गई है। नई बुकिंग भी नहीं मिल रही है। दिल्ली में नाइट कर्फ्यू की घोषणा और उत्तर प्रदेश के शहरों में धारा 144 लागू होने के बाद पर्यटकों की आमद पर ब्रेक लग गया है।
राज्य की सीमा पर टेस्टिंग को लेकर सख्ती की संभावना के बाद कारोबारी अधिक चिंतित हैं। होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश चंद्र साह का कहना है सीजन में नई बुकिंग नहीं मिलना बड़ी चिंता है। पर्यटन कारोबारी सरकार व प्रशासन की गाइडलाइन का अनुपालन करने को प्रतिबद्ध हैं। सरकार को डर का माहौल नहीं बनाना चाहिए। कारोबार बंद होंगे तो बेरोजगारी बढ़ेगी। जिससे सरकार के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो जाएगी।
लीज पर होटल लेने वाले परेशान
नैनीताल में सौ से अधिक होटल गेस्ट हाउस लीज पर दिए गए हैं। अब फिर से पर्यटकों की आमद घटने से इन लीजधारकों के सामने दोहरा संकट है। इन्हें मालिक को सालाना तय किश्त देनी है तो कर्मचारियों को मासिक वेतन, बिजली, पानी, सफाई आदि का खर्च भी चुकाना है।
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