अल्मोड़ा में ब्लैक फंगस की दस्तक से कुमाऊं में दहशत, चिकित्सकों ने बढ़ाई निगरानी

ब्लैक फंगस की दस्तक से कुमाऊं में दोहरी चुनौती खड़ी हो गई है। कोविड हॉस्पिटल (बेस चिकित्सालय) में भर्ती बुजुर्ग कोरोना संक्रमित में ब्लैक फंगस के लक्षण पाए जाने पर उसे तत्काल डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय हल्द्वानी रेफर कर दिया गया।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 06:30 PM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 06:30 PM (IST)
अल्मोड़ा में ब्लैक फंगस की दस्तक से कुमाऊं में दहशत, चिकित्सकों ने बढ़ाई निगरानी
अल्मोड़ा में ब्लैक फंगस की दस्तक से कुमाऊं में दहशत, चिकित्सकों ने बढ़ाई निगरानी

अल्मोड़ा, संवाद सूत्र : कोरोना की दूसरी लहर थामे नहीं थम रही। उस पर 'ब्लैक फंगस' की दस्तक से कुमाऊं में दोहरी चुनौती खड़ी हो गई है। कोविड हॉस्पिटल (बेस चिकित्सालय) में भर्ती बुजुर्ग कोरोना संक्रमित में 'ब्लैक फंगस' के लक्षण पाए जाने पर उसे तत्काल डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय हल्द्वानी रेफर कर दिया गया। संक्रमित मधुमेह (शुगर) से भी ग्रस्त है। पहाड़ में काले फंगस से निपटने को पर्याप्त चिकित्सा सुविधा व संसाधन नहीं हैं, लिहाजा स्वास्थ्य विभाग अति सतर्क हो गया है।

फिलहाल, अन्य मरीजों में ऐसे लक्षण तो नहीं दिख रहे हैं, मगर निगरानी बढ़ा दी गई है। ताकि समय रहते ऐसे संक्रमितों को समय रहते बेहतर उपचार के लिए हल्द्वानी रेफर किया जा सके। अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डा. अमित आर्या के अनुसार कोरोना संक्रमण की चपेट में आए 64 वर्षीय बुजुर्ग को कोविड हॉस्पिटल बेस चिकित्सालय में भर्ती किया गया था। इस दौरान रोगी की आंख में सूजन व तेज सिर दर्द की शिकायत थी। सीटी स्कैन कराने पर मरीज में 'ब्लैक फंगस' के लक्षण दिखे।

अल्मोड़ा में निपटने को सुविधा नहीं

डा. अमित आर्या के मुताबिक बेस चिकित्सालय में 'ब्लैक फंगस' की जांच की सुविधा नहीं है। वहीं ओटी व एंडोस्कोपी की भी कोई व्यवस्था न होने के कारण मरीज को हल्द्वानी रेफर किया गया। उन्होंने दावा किया कि कोविड हॉस्पिटल बेस चिकित्सालय में अब तक केवल एक ही मरीज में यह लक्षण मिले हैं।

स्टीरॉयड घातक, सर्जरी ही उपाय

एसोसिएट प्रोफेसर डा. अमित कहते हैं कि शुगर के रोगियों के लिए स्टीरॉयड घातक होते हैं। कोरोना के मरीजों को स्टीरॉयड भी दिए जाते हैं। इससे 'ब्लैक फंगस' का जोखिम बढ़ जाता है। इसके लिए एंटीफंगल दवाएं दी जाती हैं, मगर जिस अंग में 'ब्लैक फंगस' हो उसे निकालना पड़ता है।

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