बागेश्वर के नागकुंड व देवीकुंड का है बड़ा धार्मिक महत्व, हर साल पहुंचते हैं हजारों पर्यटक
राज्य पुष्प ब्रह्मकमल राज्य वृक्ष बुरांश की पांच किस्मे पाई जाती हैं। राज्य पक्षी मोनाल भी यहां बहुतायत संख्या में होते हैं। वन्य जीवों की निगरानी के लिए वन विभाग ने सेंसर कैमरा लगाया है। पर्यटकों को लुभाने के लिए यहां प्रकृति ने सबकुछ दिया है।
जागरण संवाददाता, बागेश्वर: जिले में प्रकृति ने कई नेमत बरती है, इन्हीं में से नागकुंड व देवीकुंड भी शामिल हैं। कुंडों का धाॢमक महत्व काफी अधिक है। पर्यटकों की ²ष्टि से भी यह स्थान रमणीय हैं। देव डंगरियों को स्नान कराने के लिए इसी कुंड का जल लाया जाता है। राज्य पुष्प ब्रह्म कमल, मोनाल तथा जीवन दायिनी औषधि भी इसी क्षेत्र में पाया जाता है।
समुद्र तल से 14532 फिट की ऊंचाई में नागकुंड, जबकि 13854 पर देवीकुंड स्थापित है। नागकुंड की लंबाई 100, चौड़ाई 40, जबकि देवीकुंड की लंबाई 80, चौड़ाई 50 मीटर है। धाॢमक मान्यताओं के अनुसार इन कुंडों से चैत्र, शारदीय नवरात्र के अलावा सावन में लोग देव डांगरों के स्नान के लिए जल ले जाते हैं। जल लाने वाले पहले सरोवर में स्नान करते हैं। यहां थार, भरल, हिमालयन काला भालू, कस्तूरी मृग के अलावा हिम तेंदुआ भी दिखता है। इसके अलावा कुंड के आसपास बेसकीमती औषधि भी पाई जाती है।
राज्य पुष्प ब्रह्मकमल, राज्य वृक्ष बुरांश की पांच किस्मे पाई जाती हैं। राज्य पक्षी मोनाल भी यहां बहुतायत संख्या में होते हैं। वन्य जीवों की निगरानी के लिए वन विभाग ने सेंसर कैमरा लगाया है। इसी कैमरे की मदद से इनकी गणना होती है। पर्यटकों को लुभाने के लिए यहां प्रकृति ने सबकुछ दिया है। यहां पहुंचने के बाद हिमालय, मैकतोली, नंदा खाट, कफनी, ङ्क्षपडारी ग्लेशियर के दर्शन होते हैं।
ऐसे पहुंचे कुंडों तक
इन कुंडों तक पहुंचने के लिए कपकोट से खरकिया तक 55 किमी वाहन से, खरकिया से खाती पांच, खाती से जातोली सात, जातोली से कठलिया 12, कठलिया से बैलूनी बुग्याल तीन, बैलूनी से देवीकुंड पांच, देवीकुंड से नागकुंड पांच किमी पैदल यात्रा होती है। यहां पहुंचने पर निर्मल जल से लबालब सरोवर के दर्शन होते हैं। सरोवर के आसपास साल भर बर्फ रहती है।
यहां से लाते हैं लोग पवित्र जल
दुर्गा पूजा कमेटी कपकोट, भगवती मंदिर बदियाकोट, चिल्ठा मैया सूपी, भगवती मंदिर कर्मी, लाटू मंदिर बघर, भवगती मंदिर पोङ्क्षथग आदि स्थानों के श्रद्धालुजन यहां से पवित्र जल लेकर आते हैं और देवी-देवताओं को स्नान कराते हैं।
शंकर दत्त पांडे, वन क्षेत्राधिकारी कपकोट का कहना है कि नागकुंड व देवीकुंड तक हर साल हजारों पर्यटक पहुंचते हैं, लेकिन पिछले साल से कोरोना के कारण पर्यटकों की आवाजाही बंद है। इसके अलावा लोग देव डंगरियों के स्नान के लिए इसी सरोवर से जल लाते हैं।