ट्राउट मछली पालन से आत्मनिर्भर बन रहा बागेश्वर, 400 लोग व्यवसाय से जुड़कर सुधार रहे आर्थिकी
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत चार समितियों के 65 लाभार्थी क्लस्टर आधार पर ट्राउट प्रजाति की मछली का पालन कर आर्थिकी सुधार रहे हैं। जगथाना चचई और लीती में करीब 20 नाली भूमि में ट्राउट प्रजाति की मछली का उत्पादन किया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : प्रधानमंत्री मत्स्य पालन संपदा योजना में जिला आत्मनिर्भर बन रहा है। जिससे स्वरोजगार के साथ ही युवाओं की बेहतर कमाई भी हो रही है। जिले में पिछले साल पहली बार ट्राउट मत्स्य पालन की शुरूआत की गई थी। करीब चार सौ लोग इस व्यवसाय से जुड़े हैं।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत चार समितियों के 65 लाभार्थी क्लस्टर आधार पर ट्राउट प्रजाति की मछली का पालन कर आर्थिकी सुधार रहे हैं। जगथाना, चचई और लीती में करीब 20 नाली भूमि में ट्राउट प्रजाति की मछली का उत्पादन किया जा रहा है। गत वर्ष 65 युवाओं ने योजना के तहत आवेदन किया। समितियां बनाकर उन्हें लाभाविंत किया गया। जिस पर तीस लाख्चा रुपये व्यय किए गए। ट्राउट मछली पालन शुरू किया गया। लाभार्थियों को 50 फीसदी अनुमदान भी मिला। इस वर्ष पांच समितियों का चयन किया गया है। उन्हें वित्तीय मदद का इंतजार है।
ठंडे स्थान पर पाली जाती है ट्राउट
ट्राउट प्रजाति की मछली के लिए कम तापमान की जरूरत होती है। 10-15 डिग्री तापमान वाले स्थानों में जगथाना, लीती, चचई आदि स्थानों का चयन किया गया है। पहले सीजन में समितियों ने लगभग दस लाख का मुनाफा कमाया। ट्राउट मछली की कीमत एक हजार रुपये तक है।
जिला मत्स्य अधिकारी मनोज मियान ने बताया कि ट्राउट मछली का बीज समितियों को विभाग दे रहा है। ठंड इलाकों में ट्राउट मछली का उत्पादन बेहतर हो रहा है। जिससे स्थानीय युवाओं का रोजगार मिल रहा है। विभाग लगातार मत्स्य पालन के क्षेत्र में काम कर रहा है।