...तो क्या राशन की दुकानों में बायोमैट्रिक मशीन से नहीं होगा कोरोना
जहां एक ओर सभी सरकारी-गैर सरकारी दफ्तरों स्कूल-कॉलेजों में यह कहकर बायोमैट्रिक हाजिरी पर पाबंदी लगा दी जाती है कि इससे कोरोना संक्रमण का खतरा रहता है वहीं सरकारी सस्ता गल्ला की दुकानों में इस डिवाइस पर पाबंदी न लगाया जाना कई तरह के सवाल खड़े करता है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : जहां एक ओर सभी सरकारी-गैर सरकारी दफ्तरों, स्कूल-कॉलेजों में यह कहकर बायोमैट्रिक हाजिरी पर पाबंदी लगा दी जाती है कि इससे कोरोना संक्रमण का खतरा रहता है वहीं, सरकारी सस्ता गल्ला की दुकानों में इस डिवाइस पर पाबंदी न लगाया जाना कई तरह के सवाल खड़े करता है। सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेता इन बायोमैट्रिक डिवाइसों पर रोक लगाने की तो मांग कर रहे हैं मगर उनकी नहीं सुनी जा रही है। शासन-प्रशासन और खाद्य आपूर्ति विभाग की ये अनदेखी कई संक्रमण में इजाफा न कर दे। नैनीताल जिले के 300 से अधिक राशन की दुकानों में बायोमैट्रिक डिवाइस चल रही हैं।
ऐसे काम करती है डिवाइस
आमतौर पर बायोमैट्रिक डिवाइस का उपयोग दफ्तरों में कर्मचारियों की उपस्थिति दर्ज करने के लिए होता है। डिवाइस में अंगूठा लगाना जरूरी होता है। राशन की दुकानों में भी ये डिवाइस काम यही करती है। अंगूठा लगाने के बाद संबंधित उपभोक्ता का पूरा ब्यौरा कंप्यूटर पर दिखाई देता है जिसके बाद उसे उसके कोटे का राशन मिलता है। इस एक ही मशीन पर दिनभर में सैकड़ों उपभोक्ता अंगूठा लगाते हैं ऐसे में कहीं न कहीं संक्रमण फैलने का भी बड़ा कारण बन सकता है।
शासन से हुई वार्ता बेनतीजा
बायोमैट्रिक की अनिवार्यता रोकने को लेकर आदर्श राशनिंग डीलर्स वैलफेयर सोसायटी उत्तराखंड ने शासन से बीते दिनों वार्ता की। लेकिन ऑनलाइन राशन वितरण व्यवस्था को जारी रखने का हवाला देते हुए बायौमैट्रिक चालू रखने की बात कह दी गई। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष रमेश पांडे ने बताया कि शासन से हुई वार्ता में इसपर कोई हल नहीं निकल सका।
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