Maoist Bhaskar Pandey Arrested : रेड कॉरिडोर की साजिश के साथ ही विस चुनाव में उत्तराखंड-उप्र दहलाने का था मंसूबा

Maoist Bhaskar Pandey Arrested वह उप्र-उत्तराखंड में चुनाव के मद्देनजर लोगों के मन में जनभावनाओं से खिलवाड़ कर सरकार के प्रति विद्वेष पैदा करने की भी जुगत में था। वह सराकारों के खिलाफ जनयुद्ध छेड़ने की तैयारी में था।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 11:06 PM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 11:06 PM (IST)
Maoist Bhaskar Pandey Arrested : रेड कॉरिडोर की साजिश के साथ ही विस चुनाव में उत्तराखंड-उप्र दहलाने का था मंसूबा
माओवादी कमांडर भाष्कर पांडे उर्फ भुवन 2022 के उप्र-उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में घुसपैठ की जगुत में था।

दीप सिंह बोरा, अल्मोड़ा। Maoist Bhaskar Pandey Arrested : उत्तराखंड में अब भी माओवादी जड़ें बहुत गहरी हैं। बेशक पहली व दूसरी पंक्ति के कमांडरों की गिरफ्तारी व सजा से कमर टूट गई हो पर उत्तरभारत में 'लाल सलाम' को जिंदा रखने के लिए भूमिगत रणनीति तो बन ही रही है। खासतौर पर माओवादी थिंक टैंक प्रशांत सांगलेकर उर्फ प्रशांत राही के 'थ्री यू सेक' यानि उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश व उत्तरी बिहार में 'रेड कॉरिडोर' की साजिश को अंजाम देने का जिम्मा भाष्कर पांडे उर्फ भुवन के जिम्मे था। सूत्रों की मानें तो वह उप्र-उत्तराखंड में चुनाव के मद्देनजर लोगों के मन में जनभावनाओं से खिलवाड़ कर सरकार के प्रति विद्वेष पैदा करने की भी जुगत में था। वह सराकारों के खिलाफ जनयुद्ध छेड़ने की तैयारी में था।

वर्ष 2017 में 'थ्री यू सेक' यानी उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश व उत्तरी बिहार में 'रेड कॉरिडोर' की साजिश को अंजाम देने वाले माओवादी थिंक टैंक प्रशांत सांगलेकर उर्फ प्रशांत राही व पहली पांत का कमांडर हेम मिश्रा को सजा से माओवाद की जड़ें हिली तो थी। मगर खत्म नहीं हुई थी। दूसरी पंक्ति के कमांडर भाष्कर पांडे उर्फ भुवन ने रेड कॉरिडोर की साजिश को मुकाम तक पहुंचाने का जिम्मा संभाल लिया था। 189 फरार व भूमिगत माओवादियों का कमांडर भाष्कर उर्फ भुवन पांडे पर सरकार ने 20 हजार का इनाम घोषित किया। इस दरमियान व गुपचुप रणनीति बना खाकी को गच्चा देता आ रहा था। इससे पूर्व वह 90 के दशक से अविभाजित उत्तर प्रदेश (तराई भाबर व कुमाऊं गढ़वाल के पर्वतीय जिले) में सक्रिय रहा। वर्ष 2007 में हंसपुर खत्ता व सौफुटिया के जंगल में माओवादी कैंप ने उसे 'लाल सलामÓ का मुरीद बनाया था। इसी से सीख लेकर वह जनयुद्ध की छद्म नीति को अपना आगे बढ़ता रहा। 

2022 के उप्र-उत्तराखंड चुनाव पर थी नजर 

थ्री यू सेक की साजिश के बीच जनमुद्दों को हथियार बना माओवादी कमांडर भाष्कर पांडे उर्फ भुवन 2022 के उप्र-उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में घुसपैठ की जगुत में था। सूत्रों का कहना है कि भू-कानून को लेकर पनप रहे विरोध को भुनाने, प्रवासियों के लिए बागवानी, फलोत्पादन, सब्जी उत्पादन के लिए किए हुए वादे में सरकार के नाकाम होने का आरोप लगाना, रिवर्स पलायन का फेल होना, पर्वतीय कृषि नीति में नुकसान मानक मैदान से अलग हों, जो नहीं हुए। पहाड़ में हक हुकूक फिर से लागू करने की आड़ में पहाड़ पर वह लोगों को सरकार के खिलाफ चुनाव में बरगलाने व एकजुट कर सरकारी संस्थानों पर हमले आदि की प्लानिंग कर रहा था। कुछ ऐसे ही उप्र में भी जन भावनाओं के संवेदनशील मसलों से लोगों का भड़का कर जनयुद्ध छेड़ने की साजिश की जा रही थी।

इन सब डिवीजन में रहा सक्रिय 

माओवादी कमांडर भाष्कर उर्फ भुवन इस बीच उत्तर प्रदेश के दौर में गठित सब डिवीजन शहरफाटक, सोमेश्वर, लमगड़ा, पहाड़पानी (अल्मोड़ा), पिथौरागढ़, चंपावत, चोरगलिया, रामनगर, पीरूमदारा (नैनीताल) में सक्रिय रहा। साथ ही तराई में स्थापित रुद्रपुर, दिनेशपुर, हंसपुर खत्ता (यूएस नगर) में वह भूमिगत रहकर संगठन चला रहा था। जून 2004 में शिवराज सिंह (लमगड़ा), राजेंद्र फुलारा (द्वाराहाट) व खीम सिंह बोरा (सामेश्वर) आदि ने हंसपुर खत्ता व सौफुटिया में पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी की वर्षगांठ मनाई। बिहार की सशस्त्र टुकड़ी ने हथियारों का प्रशिक्षण दिया था। भाष्कर इन गतिविधियों में शामिल रहा। 

प्रशांत राही के नक्शेकदम पर था 

स्थानीय मुद्दों को कैश कर व्यवस्था के खिलाफ जनता को भड़का कर जनयुद्ध की रणनीति भाष्कर पांडे ने थिंक टैंक प्रशांत राही से सीखी थी। सूत्र बताते हैं कि प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मोओवादी) के फ्रंटल नेता के रूप में उभरने की महत्वाकांक्षा ने उसे और मजबूत किया। 

कब कौन चढ़ा हत्थे 

= वर्ष 2005 में माओवादी अनिल चौड़ाकोटी सूखीढांग (चंपावत) में गिरफ्तार। 22 दिसंबर 07 को 'ऑपरेशन हंसपुर खत्ता' ने माओवाद की जड़ें हिलाई। सात फरवरी 2010 को शिवराज व फुलारा कानपुर में दबोचे गए। 

ये थी 'रेड कॉरिडोर की साजिश

सीपीआई (माओवादी) का दंडकारिणी (एमपी) से नेपाल तक विस्तार। पीलीभीत, बनबसा व चंपावत को नेपाल से जोड़ उत्तराखंड में पैठ। दुर्गम राजस्व व वनों में कैंप, पहाड़ की ज्वलंत समस्याएं कैश कर तंत्र के खिलाफ जनभावनाएं भड़काना। 

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