आय बढ़ाने के साथ ही कई राज्‍यों में महक फैला रहा काशीपुर का गुलाब

काशीपुर के देवीपुर गांव का नाम इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि यहां पर उगाए जाने वाले गुलाब की डिमांड सिर्फ अपने ही प्रदेश में ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों में भी होती है। जागरण ने काशीपुर में गुलाब की खेती करने वाले किसानों से बातचीत की जिसमें कई बातें सामने आयीं।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 06:55 AM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 08:29 AM (IST)
आय बढ़ाने के साथ ही कई राज्‍यों में महक फैला रहा काशीपुर का गुलाब
इस कारोबार से खर्चा काटकर 5 लाख रुपये प्रति साल का बचत करते हैं।

खेमराज वर्मा, काशीपुर। काशीपुर के देवीपुर गांव के गुलाब की महक लखनऊ, मुरादाबाद, बरेली, दिल्ली, देहरादून समेत अन्य कई शहरों तक पहुंच रही है। गुलाब के फूल को सच्ची मोहब्बत का प्रतीक माना जाता है। इसी कारण इसे खास लोगों को सप्रेम भेंट किया जाता है। फूलों का सरताज माने जाने वाले गुलाब के पुष्प शुभ कार्यों में भी प्रयोग होता है। इसकी महक आयोजन में चार-चांद लगा देती है। 

काशीपुर के देवीपुर गांव का नाम इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि यहां पर उगाए जाने वाले गुलाब की डिमांड सिर्फ अपने ही प्रदेश में ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों में भी होती है। दैनिक जागरण ने काशीपुर में गुलाब की खेती करने वाले किसानों से बातचीत की। जिसमें कई बातें सामने आयीं। 

गुलाब की खेती के लिए अनुभव जरूरी 

काशीपुर के गांव देवीपुर निवासी 50 वर्षीय विश्वजीत सिंह बीतेे 15 साल से गुलाब की खेती कर रहे हैं। विश्वजीत के खेत का गुलाब लखनऊ, मुरादाबाद, बरेली, दिल्ली, देहरादून, नैनीताल, हल्द्वाली, रुद्रपुर व अन्य शहरों तक जाता है। वह बताते हैं गुलाब की प्रजातियां पूना से मंगवाते हैं। इस समय पांच बीघा में गुलाब की खेती कर रहे हैं। इसमें आठ युवाओं को रोजगार भी दिया है। अनुभवी लोग ही इस कारोबार में सफल हो सकते हैं अन्यथा घाटा हो सकता है। इस कारोबार से खर्चा काटकर पांच लाख रुपये प्रति साल का बचत करते हैं। इस समय इनके यहां आरेंज, बेबी कलर, मजेंडा, आरेंज इन ह्वाइट, रेड और ङ्क्षपक कलर के गुलाब तैयार हैं। 

गुलाब की खेती से हो रहा अच्छा मुनाफा

काशीपुर नयागांव निवासी बलवीर कंबोज ने बताते हैं वह 2005 से ही गुलाब की खेती कर रहे हैं। वह 12 एकड़ में गुलाब व अन्य फूलों की खेती करते हैं। इसमें करीब 30 लोगों को रोजगार भी दिया हैैं। इससे साल में करीब 24 लाख रुपये की बचत करते हैं। बलवीर यलो, ङ्क्षपक, लाइट डार्क, ह्वाइट और रेड आदि कलर के अच्छे क्वालिटी के गुलाब तैयार करते हैं। गुलाबों की प्रजातियां पूना, बैंग्लुरू और पालमपुर से मंगवाते हैं। बताते हैं उनके यहां का गुलाब दिल्ली, नोएडा, जयपुर, जम्मू, कानपुर, लखनऊ, नैनीताल, देहरादून, हल्द्वानी, मुरादाबाद आदि शहरों को सप्लाई होता है। 

कैंसर पीडि़तों को हौसला देता है गुलाब

गुलाब मोहब्बत का प्रतीक माना जाता है। इसे कोमल भावनाओं का प्रदर्शित करने का माध्यम भी माना जाता है। गुलाब खिलने पर अपने चारों ओर के  वातावरण में महक फैला देता है। गुलाब के फूल कैंसर पीडि़तों को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लडऩे की हिम्मत और हौसला देते हैं। 

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