Nainital Weather Update : कमजोर पड़ा मानसून का सक्रिय सिस्टम, अगले पांच दिन भारी बारिश के आसार कम

रविवार सुबह हुई बारिश के बाद कुमाऊं में बारिश का सिलसिला थमा है। सोमवार की सुबह कुमाऊं के सभी जिलों में धूप निकली है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 07:44 AM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 11:58 AM (IST)
Nainital Weather Update : कमजोर पड़ा मानसून का सक्रिय सिस्टम, अगले पांच दिन भारी बारिश के आसार कम
Nainital Weather Update : कमजोर पड़ा मानसून का सक्रिय सिस्टम, अगले पांच दिन भारी बारिश के आसार कम

नैनीताल, जेएनएन : दक्षिण पश्चिमी मानसून का सक्रिय सिस्टम कमजोर पड़ गया है। आगामी पांच दिनों के दौरान तबाही मचाने वाली भारी बारिश के आसार कम हैं। हालांकि कुमाऊं मंडल के अनेक स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश देखने को मिल सकती है। 

बीते सप्ताह कुमाऊं में भारी बारिश ने जबरदस्त तबाही मचाई थी। सीमांत पिथौरागढ़ जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में चीन सीमा से लगे कई गांव का सड़क मार्गों से संपर्क कट गया था। अल्मोड़ा जिले के रानीखेत में मकान गिरने से एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत हो गई थी। अल्मोड़ा के रानीखेत में ही घास लेने जंगल गई तीन महिलाएं कोसी के तेज बहाव में बह गई थी। दो महिलाओं के उसी दिन शव बरामद हुए थे, जबकि तीसरी महिला का शव 72 घंटे बाद बरामद हुआ था। 

मौसम को लेकर फिलहाल राहत भरी खबर है। देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि अगले 5 दिनों में प्रदेश में भारी बारिश की संभावना नहीं है। हालांकि कुमाऊं के अनेक स्थानों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। पिथौरागढ़, नैनीताल और चंपावत जिले में एक-दो स्थानों पर भारी बारिश देखने को मिल सकती है।

गर्बाधार-लिपुलेख मार्ग पर यातायात सामान्य 

पिथौरागढ़ जिले में शनिवार की रात को मौसम कुछ नरम रहा, लेकिन नरमी में भी कहर बरपा गया। चीन सीमा को जोड़ने वाले दो मार्ग बंद हो गए। वहीं धारचूला-गर्बाधार-लिपुलेख मार्ग पर पांच दिन बाद यातायात सामान्य रहा। पांच दिनों से धारचूला में फंसे व्यास के ग्रामीण अपने गांवों तक पहुंच सके । तहसील मुख्यालय बंगापानी में पहाड़ की तरफ से गिरे पत्थर की चपेट में आने से मकान का एक कमरा ध्वस्त हो गया। गनीमत रही कि इस कमरे में किसी के नहीं होने से बड़ा हादसा टल गया। चौना-इमला सड़क दलदल बन चुकी है। सुरिगगाड़ पर लोनिवि द्वारा बिना रेलिंग का एक कच्चा पुल बना दिया गया है। बरम के मेतलीत में भारी भूस्खलन से राजकीय प्राथमिक विद्यालय देवलेक खतरे में आ गया है। 

चीन सीमा को जोड़ने वाले दो रास्ते बंद 

पिथौरागढ़ में चीन सीमा को जोड़ने वाला तवाघाट-सोबला-तिदांग मार्ग पंपाबे और युरूंग के पास करीब तीन सौ मीटर सड़क ध्वस्त होने से बंद है। जिसके चलते उच्च हिमालय के 14 गांव सेला, चल, नागलिंग, बालिंग, बौगलिंग, दुग्तू, दांतू, गो, ढाकर , तिदांग, सीपू, मार्छा, विदांग, सौन अलग-थलग पड़ चुके हैं। वहीं मुनस्यारी से चीन सीमा तक जाने वाला मुनस्यारी मिलम मार्ग दगधार सहित जिमिघाट-लिलम के मध्य दो अन्य स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो चुका है। मार्ग बंद होने से बुई, पातों, साइपौलो, जिमिघाट, लीलम, रिलकोट, लास्पा, बुगडियार, खैंलाच, पांछू, गनघर, मर्तोली, मापा, ल्वां, मिलम, टोला, बिल्जू आदि का संपर्क भंग है। बीते सप्ताह इसी पैदल मार्ग में सुरिग गाड़ में बहे पुल के स्थान पर लोनिवि द्वारा पटरे बिछा कर वैकल्पिक व्यवस्था की गई है, परंतु सुरक्षा के लिए रेलिंग की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

बोल्डर गिरने से मकान क्षतिग्रस्त 

पिाथौरागढ़ के बंगापानी में शनिवार की रात को अचानक पहाड़ की तरफ से गिरे एक बोल्डर की चपेट में आकर मकान क्षतिग्रस्त हो गया। जिस कमरे पर बोल्डर गिरा उस कमरे में किसी के नहीं होने से बड़ा हादसा टल गया। रात्रि के लगभग तीन बजे पहाड़ की तरफ से एक पत्थर और मलबा गिरा। बंगापानी बाजार में पुष्कर सिंह जंगपांगी के मकान पर गिरा। मकान के जिस कमरे के ऊपर पत्थर गिरा उससे कमरा ध्वस्त हो गया और पूरा मकान हिल गया। इस दौरान तेज आवाज होने से पूरे बंगापानी तहसील के लोग जाग गए और पुष्कर सिंह के परिवार के लोगों ने बाहर की तरफ दौड़ लगा दी। बंगापानी में अफरा तफरी मच गई। घटनास्थल के पास ही एक ट्रक में सो रहा चालक भी बाल-बाल बचा पत्थर ट्रक को छूते हुए निकला। ट्रक में सो रहे चालक ने चिल्लाते हुए कूद मार दौडृ लगा दी। जिस मकान पर पत्थर गिरा उससे मात्र तीन-चार मीटर की दूरी पर एसबीआइ का एटीएम और बैंक शाखा है। दोनों बाल-बाल बचे हैं।

खटीमा व नानकमत्ता कई गांवों पर खतरा 

यूएसनगर जिले के सितारगंज बरसात शुरू होते ही सितारगंज समेत खटीमा व नानकमत्ता विधानसभा क्षेत्र के करीब 47 गांवों के एक लाख लोगों पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। हर साल इस मौसम में नदियों के उफान पर आते ही लोग सहम उठते हैं। दूसरी ओर, बार-बार की गुहार के बावजूद शासन-प्रशासन ने व्यवस्था में सुधार की तरफ आज तक ठोस पहल नहीं की। इस कदर उपेक्षा से त्रस्त ग्रामीणों की इस बार भी बाढ़ की दहशत में नींद उड़ी हुई है। बाढ़ के चपेट में आने से इन गांव के किसानों की कई एकड़ उपजाऊ भूमि नदी की भेंट चढ़ जाती है। सितारगंज बड़ागांव, भक्ति नगर, ठाकुरनगर, राजनगर, अरविद नगर व जलपनिया लाला गांवों में बाढ़ राहत कार्य नहीं हो पाए हैं। अधिकारियों की मानें तो इस वर्ष नदी की सफाई के लिए भेजा बजट पास नहीं हो पाने से सुरक्षा उपायों पर पूरी तरह अमल नहीं हो सका।

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