अखंड सौभाग्य और संतान सुख प्रदान करने वाली अहोई अष्टमी व्रत आज, चंद्र दर्शन के साथ पूरा होता है व्रत

अखंड सौभाग्य और संतान को अच्छी सेहत व लंबी उम्र प्रदान करने वाली अहोई अष्टमी व्रत आज (गुरुवार) है। अहोई माता की देवी पार्वती का रूप माना जाता है। इस दिन माता पार्वती की पूजा की जाती है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 10:34 AM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 10:34 AM (IST)
अखंड सौभाग्य और संतान सुख प्रदान करने वाली अहोई अष्टमी व्रत आज, चंद्र दर्शन के साथ पूरा होता है व्रत
अखंड सौभाग्य और संतान सुख प्रदान करने वाली अहोई अष्टमी व्रत आज, चंद्र दर्शन के साथ पूरा होता है व्रत

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : अखंड सौभाग्य और संतान को अच्छी सेहत व लंबी उम्र प्रदान करने वाली अहोई अष्टमी व्रत आज (गुरुवार) है। अहोई माता की देवी पार्वती का रूप माना जाता है। इस दिन माता पार्वती की पूजा की जाती है। महिलाएं पूरे दिन व्रत रखकर शाम को सूर्यास्त के बाद माता की पूजा करती हैं।

इसके बाद व्रत पूरा करती हैं। अहोई अष्टमी को राधा कुंड में स्नान करने से समस्त वांछित मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। श्री महादेव गिरी संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी बताते हैं कि शास्त्रों के अनुसार सभी प्रकार के उल्कापातों से माता अहोई देवी रक्षा करती हैं।

अहोई का अर्थ होता है अनहोनी को होनी बनाना। इस अष्टमी का व्रत निर्जल व बिना कुछ खाए-पिए किया जाता है। तड़के उठकर मंदिर में जाती हैं और वहीं पूजा के साथ व्रत शुरू होता है और शाम को पूजा के बाद कथा सुनकर व्रत पूरा किया जाता है। कुमाऊं में चंद्र दर्शन करने के साथ व्रत खोलने की परंपरा है।

तारों की छांव में होती है पूजा

महिलाएं शाम को दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाती हैं और उसके आसपास सेई व सेई के बच्चे भी बनाती हैं। कुछ लोग बाजार में कागज के अहोई माता के रंगीन चित्र लाकर उनकी पूजा भी करते हैं। तारे निकलने के बाद अहोई माता की पूजा शुरू होती है। पूजन से पहले जमीन को साफ करके, पूजा का चौक पूरकर, एक लोटे में जल भरकर उसे कलश की तरह चौकी के एक कोने पर रखते हैं और फिर पूजा करते हैं। इसके बाद अहोई अष्टमी व्रत की कथा सुनी जाती है।

चंद्र दर्शन के बाद पूरा होता है व्रत

अहोई अष्टमी पर माताएं अपने बच्चों के कल्याण के लिए अहोई माता की पूजा और व्रत करती हैं। उत्साह से अहोई माता की पूजा करती हैं। बच्चों की लंबी उम्र, अच्छी सेहत और मंगलमय जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं। चंद्रमा के दर्शन करके पूजन के बाद ये व्रत पूरा किया जाता है।

कुंड स्नान करने की परंपरा

अहोई अष्टमी के दिन मथुरा के राधा कुंड में कई लोग तीर्थ स्नान के लिए आते हैं। ये व्रत खासतौर से उत्तर भारत में मनाया जाता है। गुरुवार अपराह्न 12:50 बजे अष्टमी तिथि की शुरुआत होगी। चंद्रोदय व्यापिनी व प्रदोषकाल में अष्टमी तिथि होने से गुरुवार को इसे मनाया जा रहा है।

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