महामारी के बाद आपदा से रोडवेज को तगड़ा झटका, 10 लाख से 2500 पर पहुंची आमदनी
18 अक्टूबर से पूर्व जिले से संचालित होने वाली रोडवेज के बसें प्रतिदिन 10 लाख रू पये की आमदनी का आंकड़ा छू रही थी। इसके बाद तीन दिनों तक बसों का संचालन ठप रहा। बसों का संचालन तो शुरू किया है लेकिन यात्री कम हो गए हैं।
जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : जिले को जोडऩे वाली सड़कें बाधित होने से रोडवेज को खासा नुकसान हो रहा है। पिथौरागढ़ डिपो केवल पांच बसों का संचालन कर पा रहा है। हर रोज होने वाली आमदनी ढाई हजार रू पये पर सिमट गई है। बसों से तेल का खर्च भी नहीं निकल पा रहा है।
दीपावली से पूर्व रोडवेज का पीक सीजन रहता है। इस दौरान व्यापारी अपना सामान लाने के लिए दिल्ली, हल्द्वानी, बरेली आवागमन करते हैं। इसी के साथ देश के अलग-अलग हिस्सों में काम कर रहे प्रवासी भी वापस लौटते हैं। बेमौसम हुई बारिश ने रोडवेज के पीक सीजन में आमदनी बढऩे के अरमानों पर पानी फेर दिया है। 18 अक्टूबर से पूर्व जिले से संचालित होने वाली रोडवेज के बसें प्रतिदिन 10 लाख रू पये की आमदनी का आंकड़ा छू रही थी। इसके बाद तीन दिनों तक बसों का संचालन ठप रहा। हल्द्वानी को जोडऩे वाली सड़क के खुलने के बाद रोडवेज ने बसों का संचालन तो शुरू किया है, लेकिन मौसम की अनिश्चितता को लेकर यात्री कम हो गए हैं। यात्रियों की संख्या कम होने के चलते रोडवेज केवल पांच बसों का संचालन हल्द्वानी के लिए कर पा रहा है। सड़कों की स्थिति जल्द नहीं सुधरती तो इस वर्ष रोडवेज को अपने पीक सीजन में भारी घाटा उठाना होगा।
व्यावसायिक स्वरू प देने की जरूरत
रोडवेज को घाटे से उबारने के लिए अब उसे व्यावसायिक स्वरू प देने की जरू रत है। रोडवेज के पूर्व कर्मचारी नेता मनोहर सिंह जेठी का कहना है कि रोडवेज की बसों को दिल्ली, हल्द्वानी, बरेली जैसे शहरों से छोटा सामान लाए जाने की अनुमति देने के साथ ही कुरियर कंपनियों से जोड़े जाने की जरू रत है। सामान ढोने के लिए रोडवेज की छतों का उपयोग किया जा सकता है। छोटे इलेक्ट्रानिक उत्पादों के परिवहन के लिए बसों के भीतर छोटे कैबिन बनाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग को इस पर विचार करने की जरू रत है।