पंत विवि कहीं फिर कार्यवाहक कुलपति के सहारे न हो जाए, अक्टूबर में खत्म हो रहा है कार्यकाल
देश के कृषि विश्वविद्यालयों में अग्रणी व हरित क्रांति का श्रेय लेने वाले गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विवि के कुलपति का कार्यकाल 25 अक्टूबर को खत्म होने वाला है। हैरानी है कि अभी तक कुलपति की स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है।
जागरण संवाददाता, पंतनगर : देश के कृषि विश्वविद्यालयों में अग्रणी व हरित क्रांति का श्रेय लेने वाले गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विवि के कुलपति का कार्यकाल 25 अक्टूबर को खत्म होने वाला है। हैरानी है कि अभी तक कुलपति की स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। जबकि देश के कई अन्य कृषि विश्वविद्यालयों में कुलपति की तैनाती की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
देखा जा रहा है कि राज्य बनने के बाद एक बार ऐसा मौका नहीं आया कि विवि के कुलपति का कार्यकाल खत्म होने से पहले नियुक्ति की जा चुकी हो। कुलपति की नियुक्ति के बीच कार्यवाहक के हवाले विवि कर दिया जाता रहा है। इस बार भी ऐसा ही हो सकता है। इससे शोध, शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है। यदि कुलपति की नियुक्ति में ढिलाई बरती गई तो दिसंबर में आचार संहिता लगेगी तो नियुक्ति रुक सकती है।
कोरोना काल में देश के कृषि विश्वविद्यालयों में पंत विवि ने हर क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किए थे, जिससे विद्यार्थियों की पढ़ाई भी प्रभावित नहीं हुई। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद दिल्ली की ओर से पिछले साल के सर्वोत्तम कृषि विश्वविद्यालय के पुरस्कार से विवि सम्मानित हुआ था। पंत विवि के कुलपति डाक्टर तेज प्रताप का कार्य काल 15 अक्टूबर को खत्म हो रहा है।
अभी तक नए कुलपति के चयन के लिए विज्ञापन भी नहीं निकाला गया है। ऐसे में विवि लुंजपुंज कार्यवाहक व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। पहले भी विश्वविद्यालय कई साल तक ऐसी ही कुलपति विहीन कार्यवाहक व्यवस्था का शिकार रहा है। इससे आइसीएआर रैंकिंग में आठवें-नौवें स्थान पर विवि खिसक गया था। इसकी वजह विवि की आंतरिक व्यवस्था नेतृत्व विहीन होकर अस्त-व्यस्त हो गई थी। इसे पटरी पर वर्तमान कुलपति ने टीम भावना के साथ मेहनत की तो वर्ष, 2019-20 में विवि की न केवल रैंकिंग में सुधार हुआ, बल्कि नंबर वन पर आया।
आइसीएआर ने वर्ष, 2020 में इसे देश के सर्वोत्तम कृषि विश्वविद्यालय पुरस्कार से नवाजा। अन्य राज्यों के पंजाब कृषि विवि, बांदा कृषि विवि, उत्तर प्रदेश, सबौर कृषि विवि, बिहार में भी उनके कुलपतियों का कार्यकाल इसी अक्टूबर में पूर्ण हो रहा है। इन विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। शिक्षकों के मुताबिक नए राज्यपाल के आने से कुलपति की नियुक्ति की प्रक्रिया को गति मिल सकती है।
2002 तक बरती गई थी तत्परता
पंत विवि में कुलपति के चयन में वर्ष, 2002 तक तत्परता बरती गई थी। इससे नए कुलपति ने पुराने कुलपति से चार्ज लिया। इसके बाद तो कुलपति की नियुक्ति में ढिलाई करने से विवि को कार्यवाहक व्यवस्था में धकेलने की शुरुआत कर दी गई। इससे विवि की शिक्षा, शोध और प्रसार कार्यक्रमों को अत्यंत प्रभावित किया। एक बार तो करीब दो वर्ष कार्यवाहक व्यवस्था में विवि चलता रहा। बताया जा रहा है कि कुलपति के चयन के लिए सर्च कमिटी का गठन हुआ है, मगर अभी तक आवेदनों के लिए विज्ञापन के अभाव में नए कुलपति के चयन में देर होने की संभावना है।