प्रधानों ने कहा, प्रशासन प्रवासियों को क्वारंटाइन करने का दबाव बना रहा, पर गांवों को नहीं कराया सेनेटाइज
बाहर से लौटे प्रवासियों को सात दिन तक अनिवार्य क्वारंटाइन करने के आदेश को लेकर ग्राम प्रधान अभी भी तैयार नहीं है। प्रधानों का कहना है कि पंचायत निधि से काम कराने में हर छोटी चीज का जीएसटी बिल मिलना मुश्किल है।
हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : बाहर से लौटे प्रवासियों को सात दिन तक अनिवार्य क्वारंटाइन करने के आदेश को लेकर ग्राम प्रधान अभी भी तैयार नहीं है। प्रधानों का कहना है कि पंचायत निधि से काम कराने में हर छोटी चीज का जीएसटी बिल मिलना मुश्किल है। दूसरा जो प्रशासन हरसंभव मदद का आश्वासन दे रहा है, उसके द्वारा गांवों में अभी तक सैनिटाइज तक की व्यवस्था नहीं की गई। जबकि शहरी क्षेत्र में नगर निगम द्वारा वार्ड दर वार्ड सरकारी टैंकर से दवा का छिड़काव किया जा रहा है।
मंगलवार को आपसी चर्चा के बाद प्रधानों ने कहा कि पिछली बार की तरह वह लोग अपनी जिम्मेदारी को निभाने के लिए तैयार है। आर्थिक सहयोग भी करेंगे। लेकिन महामारी का खतरा उनके लिए भी है। अफसरों संग बैठक में प्रधानों को कोरोना योद्धा कहकर उनके काम की तारीफ की जाती है। लेकिन जब बात संसाधन मुहैया कराने की हो तो जिम्मेदारी चुप्पी साध लेते हैं। अब सात दिन अनिवार्य क्वारंटाइन नियम की वजह से उनके समक्ष संकट खड़ा हो गया है। क्योंकि, संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में प्राइमरी व पंचायत भवन के एक या दो छोटे कमरों में बाहर से अलग-अलग जगहों से आए लोगों को ठहराने में पॉजिटिव व्यक्ति से नेगेटिव व्यक्ति को भी खतरा होगा। रात देर रात बगैर किसी मेडिकल टीम के आपात स्थिति में ग्राम प्रधान कुछ नहीं कर सकता। इसलिए सामूहिक क्वारंटाइन सेंटर बनना चाहिए।
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