पेंशनर बनकर गोल्डन कार्ड सेंटर पहुंचे एडीएम तो दिखी खामियां
राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना के तहत राजकीय कार्मिकों व पेंशनरों के लिए अनिवार्य गोल्डेन कार्ड मुसीबत का सबब बन गया है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना के तहत राजकीय कार्मिकों व पेंशनरों के लिए अनिवार्य गोल्डन कार्ड मुसीबत का सबब बन गया है, क्योंकि उन्हें व उनके परिजनों को कार्ड बनवाने के लिए भटकना पड़ रहा है। रविवार को एडीएम कैलाश टोलिया अवकाश के दिन हल्द्वानी कोषागार में गोल्डन कार्ड शिविर का निरीक्षण करने पहुंचे तो कई खामियां सामने आई। पेंशनर बनकर हकीकत जांचने पहुंचे एडीएम अव्यवस्था देखकर बिफर पड़े।
गोल्डन कार्ड बनवाने के लिए केंद्रों की सीमित संख्या की वजह से पेंशनरों को कई चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। रविवार को छुट्टी का दिन होने की वजह से सुबह नौ बजे ही कार्मिक व पेंशनर हल्द्वानी कोषागार में पहुंचने लगे। काफी देर बाद भी काम शुरू नहीं हुआ तो लोगों का गुस्सा बढ़ गया। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलामंत्री डिकर सिंह पडियार ने सेंटर की अव्यवस्था देखकर कोषाधिकारी व एसडीएम को मामले की जानकारी दी, जिसके बाद दोपहर 12 बजे काम शुरू हो पाया। तभी पेंशनर बनकर निरीक्षण के लिए कोषागार पहुंचे एडीएम ने केंद्र की हकीकत देख तो कई अनियमितताएं खुलकर सामने आ गई।
फोन कर सीमित लोगों को बुलाएं : एडीएम
अनियमितता पर गुस्सा एडीएम ने सख्त निर्देश देते हुए कहा कि कार्मिकों व पेंशनर्स को पहले दिन फोन कर दूसरे दिन बुलाएं। आधे लोगों को सुबह दस बजे व आधे को दोपहर में बुलाएं। इससे सीमित लोग ही शिविर में पहुंचेंगे। इससे कोविड नियमों का पालन कराना, गोल्डन कार्ड बनाने के साथ लोगों को भी सहूलियत होगी। एडीएम ने शिविर में पहुंचे लोगों से कहा कि गोल्डन कार्ड नहीं होने से किसी का काम नहीं अटकने वाला, इसलिए कार्ड बनाने के लिए हड़बड़ी मचाने के बजाय धैर्य से काम लें।
मास्क से पहचान में नहीं आए एडीएम
एडीएम कैलाश टोलिया ट्रैकसूट में कोषागार पहुंचे थे। चेहरे पर मास्क होने से किसी भी कर्मचारी ने उन्हें नहीं पहचाना। कई सवाल-जवाब करने के बाद भी कर्मचारी उन्हें पेंशनर ही समझते रहे। बाद में हिदायत देने पर कार्मिकों को उनके अधिकारी होने का आभास हुआ।
मैं लालकुआं से आई हूं। पहले मेरे पास आयुष्मान कार्ड है। किसी ने बताया कि इसे गोल्डन कार्ड में बदला जाना है। दो घंटे से बारी का इंतजार कर रही हूं।
-मीना देवी, पेंशनर
अपनी माताजी को लेकर कार्ड बनवाने आया हूं। हम दस बजे आ गए थे। दो घंटे से इंतजार कर रहे हैं। यहां कर्मचारी सही से बात तक करने से बच रहे हैं।
-डीसी जोशी, निवासी ऊंचापुल
अवकाश का दिन होने से सुबह ही कार्ड बनवाने पहुंचे थे। यहां बड़ी अनियमितता सामने आई। हालांकि दिनभर इंतजार करने के बाद कार्ड बन गया।
-डीएस पडियार, शिक्षक
पत्नी उमा जोशी के साथ कार्ड बनवाने आया हूं। हम लोग बच्चों के साथ देहरादून में रहते हैं। काम सहजता हो, इसके लिए व्यवस्था को ठीक बनाना चाहिए।
-डा. केके जोशी, हल्द्वानी
पत्नी के साथ सुबह साढे नौ बजे गोल्डन कार्ड बनवाने आ गए थे। सेंटर पर पूरी तरह अव्यवस्था हावी है। कभी सर्वर खराब हो रहा तो कभी स्कैनर काम नहीं कर रहा।
-सुंदर लाल, जज फार्म