सियासत करने की बजाए देव स्थानम बोर्ड को तत्काल भंग करे सरकार : आप
आप उत्तराखण्ड के नवनियुक्त कार्यकारी अध्यक्ष भूपेश उपाध्याय ने देवस्थान बोर्ड को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार देवस्थानम बोर्ड पर सियासत कर रही है उसे सियासत छोड़कर इस बोर्ड को तुरंत भंग करना चाहिए।
जागरण संवाददता, नैनीताल : आप उत्तराखण्ड के नवनियुक्त कार्यकारी अध्यक्ष भूपेश उपाध्याय ने देवस्थान बोर्ड को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि, बीजेपी सरकार देवस्थानम बोर्ड पर सियासत कर रही है उसे सियासत छोड़कर इस बोर्ड को तुरंत भंग करना चाहिए। बोर्ड के नाम पर तीर्थ पुरोहितों के साथ साथ प्रदेश की जनता को भी भ्रमित कर रही है,ऐसा लगता है कि इस सरकार की मंशा बोर्ड को भंग करने की बिल्कुल नहीं है।
नवनियुक्त कार्यकारी अध्यक्ष भूपेश उपाध्याय ने गुरुवार को हल्द्वानी में प्रेस वार्ताकरते हुए कहा कि सरकार बोर्ड भंग करने के नाम पर कभी पुनर्विचार, कभी कमेटी गठित करने तो कभी आपसी सहमति की बात कह कर तीर्थ-पुरोहितों को गुमराह कर रही है। बीजेपी देवस्थानम बोर्ड बनाकर हजारों सालों से चली आ रही सांस्कृतिक परंपराओं पर कानूनी चाबुक चलाना चाहती है। उन्होंने ये भी कहा कि, जहां बीजेपी विपक्ष में है, वहां ऐसे बोर्ड का विरोध करती है।
भूपेश ने कहा, बोर्ड बनाकर ना सिर्फ इन मंदिरों के तीर्थ पुरोहितों का हक छिन जाएगा बल्कि धर्म पर भी कानूनी शिंकजा कस जाएगा। देवभूमि में लाखों लोग हर साल अलग अलग मंदिरों के दर्शनों के लिए आते हैं, लेकिन बोर्ड के गठन से उनको ऐसा अनुभव प्राप्त नहीं हो पाएगा जो अनुभव बिना देवस्थानम बोर्ड के होता था।
प्रदेश प्रवक्ता समित टिक्कू ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड जबरन बनाया हुआ बोर्ड है, जिसपर किसी भी तीर्थ पुरोहित और पंडा समाज से जुडे़ लोगों की सलाह नहीं ली गई, केदारनाथ धाम में अभी भी तीर्थ पुरोहित बोर्ड भंग करने के निए प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक इस बोर्ड को भंग नहीं किया है।
सरकार सेम मुखेम को प्रदेश का छठा धाम बनाने पर विचार कर रही है लेकिन जो पहले से ही धाम प्रदेश में स्थित हैं उनके तीर्थ पुरोहितों के हक पर सरकार ने बोर्ड गठित कर डाका डालने का काम किया है। ये सरकार जनता को गुमराह कर रही है । आम आदमी पार्टी उत्तराखंड मांग करती है कि इस बोर्ड को सरकार तुंरत भंग करे और इस बोर्ड को भंग करने के लिए जल्द एक अध्यादेश लाया जाए, ताकि तीर्थ पुरोहितों के हक पर डाका ना पड़ सके।