पलायन के दर्द को गीत में पिरोया, पहाड़ के युवाओं के संघर्ष बयां करता मर्तोलिया का गीत
कुमाऊंनी गीत के जरिये मर्तोलिया ने पलायन की पीड़ा को बयां किया है। मन की पीड़ गीत रोजगार के लिए गांव छोड़कर शहरों की रुख करने वाले युवाओं के दर्द और संघर्ष को बयां करता है। परदेश में रहते हुए गांव परिवार की सताती यादें हर समय कचोटती हैं।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : अपनी मायाली व दर्द भरी आवाज के लिए पहचाने जाने वाले गायक गणेश सिंह मर्तोलिया का नया वीडियो गीत आया है। कुमाऊंनी गीत के जरिये मर्तोलिया ने पलायन की पीड़ा को बयां किया है। मन की पीड़ गीत रोजगार के लिए गांव छोड़कर शहरों की रुख करने वाले युवाओं के दर्द और संघर्ष को बयां करता है। परदेश में रहते हुए गांव, परिवार की सताती यादें हर समय कचोटती हैं।
रोजगार व बच्चों की शिक्षा बड़ी वजह
गीत दिखाता है कि अपनी जड़ों से कोई अलग नहीं होना चाहता। रोजगार की मजबूरी युवा पीढ़ी को शहर ले जाती है। बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा का सपना भी पलायन की प्रमुख वजह में शामिल है। पलायन के कारण पहाड़ के कई गांव पूरी तरह खाली हो चुके हैं।
लोक संगीत, संस्कृति के लिए चिंतित रहते हैं गणेश
कुमाऊंनी गीत मन की पीड़़ का विमोचन पहली कुमाऊंनी फिल्म मेघा आ के निर्माता रहे स्व. जीवन सिंह बिष्ट की स्मृति में शनिवार को किया गया। चांदनी इंटरप्राइजेज के बैनर तले बने गीत का निर्देशन गणेश सिंह मर्तोलिया ने किया है। गणेश मर्तोलिया के साथ नीमा रिलकोटिया ने दर्द भरी स्वरों में गीत को आवाज दी है। गणेश मर्तोलिया बैंक में कार्यरत हैं। अपनी संस्कृति, लोक संगीत के लिए चिंतित गणेश मार्मिक गीतों के लिए जाने जाते हैं। उनके पुराने गीत लाल बुरांस को श्रोताओं ने काफी सराहा। मन की पीड़ गीत में नीरज पांगती, कुमकुम पांडे, नवीन बेगाना, गंगोत्री बिष्ट, गौरव, बालम कुमार ने अभिनय किया है। गीता का छायांकन धर्मेंद्र सिंह जेठा ने किया है। संगीत दिया है गुंजन डंगवाल ने। निर्माता नवीन टोलिया हैं।
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