सौ साल पहले भवाली की इस दुकान में अंग्रेज व रामपुर के नवाब खाने आते थे मिठाई

1921 में कुंवर मिष्ठान के नाम से एक दुकान की स्थापना की। 1921 के दौर में तो जलेबी चाय व कलाकंद से दुकान शुरू किया था और अंग्रेज और रामपुर के नवाब अक्सर यहां मिठाई खाने व चाय पीने पहुंचा करते थे।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Wed, 13 Jan 2021 07:58 PM (IST) Updated:Wed, 13 Jan 2021 07:58 PM (IST)
सौ साल पहले भवाली की इस दुकान में अंग्रेज व रामपुर के नवाब खाने आते थे मिठाई
1955 में दुकान को कुंवर मिष्ठान नाम दिया।

विनोद कुमार, भवाली। नगर की कुंवर मिष्ठान भंडार ने अपने सौ साल पूरे कर लिए। यह नगर की सबसे पुरानी व पहली मिठाई दुकान है। 1921 में पहली बार जलेबी से दुकान की शुरुआत की गई थी। अंग्रेज व रामपुर के नवाब यहां मिठाई खाने व चाय की चुस्की लेने आते थे।

खीम सिंह ने नगर के मुख्य बाजार में 1921 में कुंवर मिष्ठान के नाम से एक दुकान की स्थापना की। इसके बाद कुंवर सिंह फिर चन्दन सिंह ने दुकान को आगे बढ़ाया। वर्तमान में पांचवी पीढ़ी के हरेंद्र सिंह दुकान को चला रहे हैं। बात करें 1921 के दौर में तो जलेबी, चाय व कलाकंद से दुकान शुरू किया था! उस समय अंग्रेज और रामपुर के नवाब अक्सर यहां मिठाई खाने व चाय पीने पहुंचा करते थे। वर्ष 1926 से दुकान में संदेश के लिए घंटी लगाई गई। लोग इसे बजाकर अपनी बात कहते थे। इसके बाद इसे घंटी वाली दुकान से जाना जाने लगा। यह घंटी आज भी दुकान में लगी है। वर्तमान में ग्राहकों में इस पुरानी घंटी व इससे जुड़े प्रसंगों को लोग चाव से सुनते हैं। इस तरह से लोग मिठाई लेने के साथ ही लोगों को पुराने समय के क्षेत्र, अंग्रेजों की कहानी व अन्‍य रोचक जानकारियां सुनने को मिल जाती है।

कुंवर मिष्ठान के प्रबंधक हरेंद्र सिंह ने बताया कि 1955 में दुकान को कुंवर मिष्ठान नाम दिया। इनका दावा है कि देश में पहली बार 1960 में पिता चन्दन सिंह ने आलू की बर्फी बनाई थी, जो आज भी देशभर में मशहूर है। साथ ही 1985 में मेथी के लड्डू भी बनाए गए। यहां पर अंग्रेज कलाकंद खासतौर पर खाने आते थे।

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