आर्मी से अनुमति नहीं मिली तो ड्रोन सर्वे से बाहर हो जाएंगे हल्‍द्वानी के 50 वार्ड

नगर निगम हल्‍द्वानी की संपत्तियों को चिह्नित कर डिजिटल प्रारूप में लाने की राह से रोड़े हट नहीं रहे। ड्रोन सर्वे के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय व स्थानीय पुलिस प्रशासन की अनुमति के बाद अब कैंट एरिया का पेच फंस रहा है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 09:14 AM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 09:14 AM (IST)
आर्मी से अनुमति नहीं मिली तो ड्रोन सर्वे से बाहर हो जाएंगे हल्‍द्वानी के 50 वार्ड
आर्मी से अनुमति नहीं मिली तो ड्रोन सर्वे से बाहर हो जाएंगे हल्‍द्वानी के 50 वार्ड

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : नगर निगम हल्‍द्वानी की संपत्तियों को चिह्नित कर डिजिटल प्रारूप में लाने की राह से रोड़े हट नहीं रहे। ड्रोन सर्वे के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय व स्थानीय पुलिस प्रशासन की अनुमति के बाद अब कैंट एरिया का पेच फंस रहा है। कैंट क्षेत्र के तीन किमी परिधि में ड्रोन उड़ाने की अनुमति न मिलने से यह मुश्किल आ रही।

नगर निकायों की संपत्ति की कर प्रणाली को पारदर्शी व अधिक कारगर बनाने के लिए शहरी विकास निदेशालय ने डिजिटल मैप तैयार करने की कवायद की है। ज्योग्राफिकल इनफॉर्मेशन सिस्टम (जीआइसी) आधारित सर्वे ड्रोन की मदद से किया जाना है, मगर शहर के कैंट क्षेत्र में सुरक्षा के मद्देनजर ड्रोन उड़ाने की अनुमति नहीं मिल रही है। पुलिस की आख्या के बाद डीएम कार्यालय की ओर से मिली अनुमति पत्र में कैंट के तीन किमी परिधि में ड्रोन नहीं उड़ाने की बात कही गई है। इस तीन किमी परिधि में निगम के 50 वार्ड आ रहे हैं। ऐसे में ड्रोन सर्वे को लेकर दुविधा की स्थिति पैदा हो गई है।

तो फिर गूगल इमेज से होगा सर्वे

ड्रोन की अनुमति नहीं मिलने पर गूगल इमेज से काम चलाया जा सकता है। गूगल इमेज सेटेलाइट आधारित होती हैं। भवन का क्षेत्रफल क्या है, कितना मंजिला है, जैसे कई बुनियादी जानकारी गूगल इमेज से नहीं आ पाती। पुरानी इमेज की वजह से तात्कालिक स्थिति भी सामने नहीं आ पाती। फिलहाल निगम की टीम गूगल इमेज के साथ मौके पर जाकर सर्वे की तैयारी का भी विकल्प तैयार कर रही है। हालांकि बिना ड्रोन की मदद से यह पद्धति कितनी डिजिटल हो पाएगी, इस पर भी संशय है। कर निरीक्षक नगर निगम हल्द्वानी पूजा चंद्रा ने बताया कि ड्रोन सर्वे को लेकर आर्मी कैंट प्रशासन को पत्र लिखा गया है। जवाब का इंतजार है। फिलहाल बाहरी इलाकों से शुरू कराने पर विचार चल रहा है।

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