ऊधमसिंह नगर के 3 लाख 19 हजार गाय एवं भैस को एक साल से नहीं लगा टीका, तेजी से फैल रहा खुरपका-मुंह पका रोग

पशुओं को टीका नहीं लगाए जाने के पीछे टीका उपलब्ध नहीं होने का कारण बताया जा रहा है। इससे पशु चिकित्सा अधिकारी एवं डॉक्टर भी लाचार हैं। पशुओं को टीका नहीं लगाए जाने से पशु पालकों को परेशानियाें का सामना करना पड़ रहा है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Thu, 04 Nov 2021 11:50 AM (IST) Updated:Thu, 04 Nov 2021 11:50 AM (IST)
ऊधमसिंह नगर के 3 लाख 19 हजार गाय एवं भैस को एक साल से नहीं लगा टीका, तेजी से फैल रहा खुरपका-मुंह पका रोग
उम्मीद की जा रही है कि अक्टूबर महीने में पशुओं को टीका लगाया जाएगा।

खेमराज वर्मा, काशीपुर : जिले में करीब 3 लाख 19 हजार गाय एवं भैस को पिछले एक साल से खुर पका-मुंह पका वायरस से बचाव को लेकर टीका नहीं लगाया गया है। पशुओं को टीका नहीं लगाए जाने के पीछे टीका उपलब्ध नहीं होने का कारण बताया जा रहा है। इससे पशु चिकित्सा अधिकारी एवं डॉक्टर भी लाचार हैं। पशुओं को टीका नहीं लगाए जाने से पशु पालकों को परेशानियाें का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, यह उम्मीद की जा रही है कि अक्टूबर महीने में पशुओं को टीका लगाया जाएगा।

काशीपुर, हरियावाला, करनपुर, सरबड़खेड़ा, कुंडा, गंगापुर, कुंडेश्वरी, लालपुर, बाबड़खेड़ा, बसंग, स्लाम नगर, भरतपुर, करनपुर, गढ़ीनेगी व आदि इलाके में सैकड़ों पशुपालक प्रभावित हो रहे हैं। किसानों का आरोप है कि हर साल बारिश से पहले पशुओं को टीका लगाया जा था, लेकिन पिछले कई साल टीकाकरण बंद है। खुर पका-मुंह पका रोग गाय एवं भैस में तेजी से फैलता है।

खासकर दुधारू गाय एवं भैस में यह बीमारी अधिक नुकसान दायक होती है। यह रोग एक अत्यंत सूक्ष्म विषाणु से होता है। यह पशुओं में अत्याधिक तेजी से फैलने वाला रोग है, तथा कुछ समय में एक झुंड या पूरे गांव के अधिकतर पशुओं को संक्रामित कर देता है। इससे काशीपुर के विभिन्न इलाके के किसानों के लिए चिंता बढ़ती जा रही है। 

वायरस के लक्षण

पशुओं के मुंह से रस्सी जैसा अत्यधिक लार का टपकना। बछड़ों में अत्याधिक ज्वर आने के पश्चात बिना किसी लक्षण की मृत्यु होना। जीभ तथा तलवे पर छालों का उभरना जो बाद में फट कर घाव में बदल जाते हैं। जीभ की सतह का निकल कर बाहर आ जाना एवं थूथनों पर छालों का उभरना। खुरों के बीच में घाव होना जिसकी वजह से पशु का लंगड़ा कर चलना या चलना बंद कर देता है। मुंह में घावों कि वजह से पशु भोजन लेना तथा जुगाली करना बंद कर देता है एवं कमजोर हो जाते हैं। दूध उत्पादन में लगभग 80 प्रतिशत की कमी, गाभिन पशुओं के गर्भपात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना। 

रोकथाम के उपाय रोकथाम ही सबसे कारगर 

नियंत्रण का उपाय है। पशु चिकित्सा अधिकारियों के मानेे ताे विशेष नियमों का पालन करके वायरस से बचाव किया जा सकता है। पशुओं को एक दूसरे से दूरी पर बांधे। किसी भी पशु को एक दूसरे का जूठा चारा ना खाने दें। समय-समय पर फिटकरी के चकते से पशुओं का मुंह खोलकर चीभ पर घिसाई करें। फिटकरी को गुनगुना पानी में मिलकर पशुओं के पैर पर डालें। मुंह व खुरों के घावों को फिटकरी या पोटाश के पानी से धोते हैं। मुंह में बोरो-गिलिसरीन तथा खुरों में किसी एंटीसेप्टिक लोशन या क्रीम का प्रयोग किया जा सकता है।

क्या कहते हैं पशुपालक

खुर पका-मुंह पका वायरस पशुओं में बहुत तेजी से फैल रहा है। इससे बचाव के लिए विभाग की तरफ से हर साल बारिश से पहले पशुओं को वैक्सीन लगाई जाती थी। लेकिन पिछले कई साल से वैक्सीन लगाने का काम बंद है।

यह बीमारी जब पशुओं को अपनी चपेट में ले लेगा तब डॉक्टर जांच करने के लिए पहुंचेंगे। हमने विशेष सावधानी करके पशुओं को सुरक्षित रखा है।

- तेजवीर सिंह, पशुपालक, लालपुर कॉलोनी-सुल्तानगढ़

फॉर्म गाय और भैस पाल रखा हूं। जिनकी विशेष दूखभाल करके वायरस से दूर रखा हूं। क्योंकि, विशेष नियमों का पालन करता हूं। यही नहीं समय-समय पर पशुओं की रख-रखाव को लेकर क्षेत्रीय पशु चिकित्सा अधिकारी से परामर्श भी लेता रहता हूं। पशुओं को अलग-अलग चारा देने के साथ ही दूरी-दूरी पर बांधता हूं।

- कुलदीप सिंह, पशुपालक, गांव हरियावाला 

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

काशीपुर में खुर पका-मुंह पका का वायरस बहुत तेजी से फैल रहा है। प्रशासन को चाहिए कि इस तरफ विशेष ध्यान देकर टीका का इंतजाम करवाया जाए। जिससे विभाग की तरफ से किसानों के पशुओं को टीका लगाया जाएग। अन्यथा यह बीमारी बिकट रूप ले लगी।

- अरुण शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष, किसान क्लब-काशीपुर

विभाग की तरफ से हर साल पशुओं को टीका लगाया जाता है। हालांकि, इस साल अभी लगाया जाना बाकी है। काशीपुर, सरबड़खेड़ा और हरियावाला एरिया में करीब 20 पशुओं को खुर पका-मुंह पका बीमारी होने की पुष्टि की जा चुकी है। जिनका ट्रीटमेंट किया जा रहा है।

- शेखर शर्मा, पशुधन प्रसार अधिकारी, करनपुर-काशीपुर

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