लालकुआं में आबदी में आतंक मचा रहे 250 बंदरों को मथुरा से आई टीम ने पकड़ा

बंदरों का आतंक लालकुआं के ग्रामीण क्षेत्रों में भी है। ग्रामीण वन विभाग से लंबे समय से लंगूरों से मुक्‍त‍ि दिलाने की मांग कर रहे हैं। जिस पर विभाग ने मथुरा से बंदरों को पकड़ने वाली टीम को बुला लिया है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 09:27 AM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 09:27 AM (IST)
लालकुआं में आबदी में आतंक मचा रहे 250 बंदरों को मथुरा से आई टीम ने पकड़ा
लालकुआं में आबदी में आतंक मचा रहे 250 बंदरों को मथुरा से आई टीम ने पकड़ा

लालकुआं, जागरण संवाददाता : बंदरों का आतंक लालकुआं के ग्रामीण क्षेत्रों में भी है। ग्रामीण वन विभाग से लंबे समय से लंगूरों से मुक्‍त‍ि दिलाने की मांग कर रहे हैं। जिस पर विभाग ने मथुरा से बंदरों को पकड़ने वाली टीम को बुला लिया है। टीम ने डॉली रेंज से लगे गांव गडरिया बाग, शांतिपुरी क्षेत्रों में अभियान चलाते स्कूल, मंदिर परिसर के साथ ही अन्य आवासीय क्षेत्रों से 250 बंदर व लंगूर को पकड़ लिए हैं। उन्‍हें घने जंगलों में छोड़ा जाएगी। 

ग्रामीणों की मांग पर प्रभागीय वनाधिकारी संदीप कुमार और उप प्रभागीय वनाधिकारी ध्रुव सिंह मार्तोलिया के निर्देशन में वन विभाग की डॉली रेंज लालकुआं द्वारा मथुरा से बुलाए गए बंदर पकड़ने की विशेषज्ञ टीम के साथ बंदरों को पकड़ने का अभियान शुरू कर दिया है। जिसके तहत टीम द्वारा डॉली रेंज से लगे गांव गडरिया बाग, शांतिपुरी क्षेत्रों में  विशेष अभियान चलाते हुए उक्त गांवों के स्कूल, मंदिर परि7सर के साथ ही अन्य आवासीय क्षेत्रो से 250 बंदर व लंगूर को पकड़ने में सफलता हासिल की। 

ग्राम प्रधान चम्पा कोरंगा, विमला जोशी तथा रूप सिंह के साथ ही अभिभावक संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र कोरंगा ने बताया कि शांतिपुरी स्कूल परिसर में भी बंदरों के  कारण बच्चे आतंकित थे। कक्षाएं संचालित करने में व्यवधान उत्पन्न हो रहा था। विभाग की टीम द्वारा बंदरों के रेस्क्यू कार्य किए जाने से अब इस समस्या से ग्रामीण व स्कूल के बच्चों को समस्या से निजात मिलेगी। 

वन क्षेत्राधिकारी डौली रेंज अनिल जोशी ने बताया कि आबादी क्षेत्र से रेस्क्यू किए गए बंदरों को नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही करते हुए सुदूर वन क्षेत्रों में विशेष रूप से ऐसे चिन्हित स्थानो में रिलीज़ किया जाएगा जिन क्षेत्रों में बंदरों के भोजन-पानी की प्राकृतिक व्यवस्था हो ताकि आबादी क्षेत्रों में पुनः बंदरों का प्रवेश ना हो।

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