2020 में हल्द्वानी में रहा सबसे कम प्रदूषण, 2014 सबसे खराब, देखें पूरी रिपोर्ट
हल्द्वानी में प्रदूषण स्तर को लेकर पिछले साल रिकार्ड गिरावट देखने को मिली। हवा में पीएम-10 यानी पर्टिकुलेट मैटीरियल का औसत स्तर 106.92 माइक्रोग्राम घनमीटर रहा। जबकि बीते नौ साल में सबसे ज्यादा प्रदूषण साल 2014 में दर्ज हुआ।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : हल्द्वानी में प्रदूषण स्तर को लेकर पिछले साल रिकार्ड गिरावट देखने को मिली। हवा में पीएम-10 यानी पर्टिकुलेट मैटीरियल का औसत स्तर 106.92 माइक्रोग्राम घनमीटर रहा। जबकि बीते नौ साल में सबसे ज्यादा प्रदूषण साल 2014 में दर्ज हुआ। तब सालाना औसत 149.50 आंकी गई थी। हवा में प्रदूषण के कणों को पीएम-10 व पीएम 2-5 में बांटकर आंकलन किया जाता है।
प्रदूषण की बड़ी वजह फैक्ट्रियों को माना जाता है। लेकिन हल्द्वानी में औद्योगिक संस्थान नहीं है। हालांकि, वाहनों का बढ़ता दबाव व संकरी सड़कों की वजह से दिक्कत बढ़ रही है। जाम के चलते रेंगता ट्रैफिक हवा को खराब कर रहा है। पिछले साल मार्च में पूर्ण लाकडाउन होने पर गाडिय़ों का शोर थम गया था। इसके बाद अनलाक सीजन में शर्तों के साथ ढील दी गई। इस दौरान पर्यावरण को सुधरने का काफी समय मिला। यही वजह है कि 2020 में हल्द्वानी का औसत प्रदूषण पिछले नौ साल के मुकाबले न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया। 2019 के मुकाबले पिछली दीवाली पर प्रदूषण का स्तर पांच प्वाइंट कम रहा था।
नौ साल का आंकड़ा
साल पीएम-10 घनमीटर में
2012 136.68
2013 143.50
2014 149.45
2015 138.89
2016 129.89
2017 124.73
2018 125.92
2019 112.91
2020 106.49
राजधानी में 2017 में ज्यादा प्रदूषण
देहरादून में तीन जगहों पर प्रदूषण जांचने वाली मशीन लगी हुई है। घंटाघर, रायपुर रोड व आइएसबीटी के पास प्रदूषण की मानीटङ्क्षरग होती है। उत्तराखंड में साल 2017 में आइएसबीटी के पास प्रदूषण की मात्रा सर्वाधिक दर्ज हुई। तब पीएम-10 का वार्षिक औसत 302 निकला। हालांकि, इसके बाद से प्रदूषण का स्तर लगातार गिरा है।