हल्द्वानी में 18 हजार परिवार बनेंगे जमीन के मालिक, स्पष्ट नीति नहीं होने की वजह से आ रही थी दिक्कत
अब नजूल लैंड पर मालिकाना हक देने का प्रस्ताव पास होने से चुनावी साल में लोगों को बड़ा फायदा मिलेगा। फिलहाल अफसर व निगम क्षेत्र के लोग शासनादेश का इंतजार कर रहे हैं। नियमों व प्रक्रिया के बारे में जानकारी मिलते ही आवेदन भी शुरू होंगे।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : धामी कैबिनेट के फैसले से कुमाऊं की आर्थिक राजधानी हल्द्वानी के करीब 18 हजार परिवारों के लिए बड़ी उम्मीद जगी है। नजूल भूमि पर मालिकाना हक देने के प्रस्ताव को हरी झंडी मिलने से सालों से परेशान लोगों को अब जमीन फ्री-होल्ड कराने में दिक्कत नहीं आएगी। कैबिनेट के फैसले का शासनादेश आने के बाद निचले स्तर पर प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। अभी तक स्पष्ट नीति नहीं होने के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।
पुराने आंकड़ों के मुताबिक नगर निगम प्रशासन को 26 हजार भवनों से टैक्स मिलता है। इसमें 21 हजार आवासीय व पांच हजार करीब व्यावसायिक भवन हैं। 2018 में नजूल लैंड पर बने भवनों की संख्या 16 हजार के आसपास थी। जो कि अब बढ़ चुकी है। वहीं, कई जमीनों व भवनों की बिक्री होने या एक पक्ष से दूसरे पक्ष का कब्जा होने पर विवाद की स्थिति भी पैदा होने पर मामला कोर्ट तक पहुंच गया। नई नीति के जारी होने पर इन वादों के निपटारे में भी काफी मदद मिलेगी।
रामनगर नगर पालिका के बीस वार्ड के लोगों को सरकार के इस फैसले से बड़ी राहत मिली है। शहर की करीब 70 फीसदी आबादी नजूल क्षेत्र मेंं बसी है। इसके अलावा भीमताल, नैनीताल व भवाली में भी नजूल लैंड हैं। रामनगर के ईओ भरत त्रिपाठी ने बताया कि मकान से लेकर व्यावसायिक भवन नजूल भूमि पर बने हैं।