एसिड अटैक मामले में 10 साल कैद व 15 हजार जुर्माना, पत्‍नी व बच्‍चों की हत्‍या का मामला व‍िचाराधीन

आरोपित चंद्रशेखर राम निवासी जंगलियागांव थाना भीमताल को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है। वहीं पत्नी विमला बेटी उमा व रेनू को खाई में धकेल कर हत्या के मामले में उसके खिलाफ धारा 302 व 201 के तहत मामला जिला एवं सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में विचाराधीन है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 06:07 AM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 06:07 AM (IST)
एसिड अटैक मामले में 10 साल कैद व 15 हजार जुर्माना, पत्‍नी व बच्‍चों की हत्‍या का मामला व‍िचाराधीन
पीडि़त सहायता योजना 2013 के अनुसार पीडि़त को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से सहायता दी जाए।

जागरण संवाददाता, नैनीताल : द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश राकेश कुमार सिंह की कोर्ट ने एसिड अटैक के आरोपित चंद्रशेखर राम निवासी जंगलियागांव, थाना भीमताल को दोषी करार देते हुए 10 साल सश्रम कारावास व 15 हजार जुर्माने की सजा सुनाई है।

अभियोजन के अनुसार 25 जनवरी 2019 को जंगलियागांव निवासी सतीश चंद्र ने भीमताल थाने में आरोपित चंद्रशेखर के खिलाफ तहरीर दी। जिसमें कहा कि 21 जनवरी को जब वह आलू के खेत में गोबर डालकर आ रहा था तो चंद्रशेखर दराती लेकर आ गया। जैसे ही वह और पिता मोहन राम अपने कमरे के अंदर गए तो पीछे से चंद्रशेखर कमरे में दराती व एसिड लेकर घुस गया। उसने एसिड पिता मोहन राम के चेहरे व आंख में फेंककर प्राणघातक हमला कर दिया। एडीजीसी पूजा साह ने अपराध साबित करने के लिए दस गवाह पेश किए। इस तथ्य को साबित किया है कि आरोपित ने एसिड अटैक किया था। एसिड अटैक से पीडि़त की आंख की रोशनी चली गई थी। द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश राकेश कुमार सिंह ने अभियुक्त द्वारा तेजाब डालने के कृत्य को गंभीर पाया। न्यायालय ने गृह विभाग को भी आदेश दिया है कि पीडि़त सहायता योजना 2013 के अनुसार पीडि़त को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से सहायता दी जाए।

पत्नी व बच्चों के कत्ल का भी है दोषी

डीजीसी फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने तर्क दिया कि आरोपित चंद्रशेखर अपनी पत्नी के चरित्र पर शक करता था। उसे शक था कि पत्नी के पीडि़त के साथ संबंध हैं। इससे नाराज होकर उसने 20 जनवरी को ग्राम वर नगर गंगनाथ में पत्नी विमला, बेटी उमा व रेनू को खाई में धकेल कर हत्या कर दी। इस मामले में उसके खिलाफ धारा 302 व 201 के तहत मामला जिला एवं सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में विचाराधीन है।

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