योग गुरु बाबा रामदेव ने अब नेताओं और धर्म-अध्यात्म पर साधा निशाना

योग गुरु बाबा रामदेव ने अब धर्म-अध्यात्म राजनेताओं और व्यापारियों पर निशाना साधा है। कहा कि ये लोग अपनी ब्रांडिंग करने के लिए दो-चार अच्छे काम कर लेते हैं पर पर्दे के पीछे जो अधर्म और भ्रष्टाचार होता है उसकी बात कोई नहीं करता। यह भी बताया जाना चाहिए।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Thu, 03 Jun 2021 09:55 AM (IST) Updated:Thu, 03 Jun 2021 09:55 AM (IST)
योग गुरु बाबा रामदेव ने अब नेताओं और धर्म-अध्यात्म पर साधा निशाना
योग गुरु बाबा रामदेव ने अब नेताओं और धर्म-अध्यात्म पर साधा निशाना।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। योग गुरु बाबा रामदेव ने अब धर्म-अध्यात्म, राजनेताओं और व्यापारियों पर निशाना साधा है। कहा कि, ये लोग अपनी ब्रांडिंग करने के लिए दो-चार अच्छे काम कर लेते हैं, पर पर्दे के पीछे जो अधर्म और भ्रष्टाचार होता है उसकी बात कोई नहीं करता। यह भी बताया जाना चाहिए। 

बुधवार को इंटरनेट मीडिया पर वायरल एक वीडियो में बाबा रामदेव ऐसा कहते सुनाई दे रहे हैं। वीडियो साधकों को योग सिखाने के दौरान का प्रतीत हो रहा है। योग गुरु कटाक्ष कर रहे हैं कि धर्म और अध्यात्म की बात करने वाले कहते हैं कि हम लोगों को अच्छी बातें बता रहे हैं। अच्छी राह पर चलने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, लेकिन ये लोग पर्दे के क्या-क्या अनाचार और भ्रष्टाचार कर रहे हैं, यह नहीं बताते। वह यहीं नहीं रुके, कहा लोगों को लड़ा-भिड़ा रहे हो, खून बहा रहे हो, यह भी तो बताओ।

बाबा रामदेव वीडियो में राजनेताओं को कठघरे में खड़ा करते सुनाई पड़ रहे हैं। बोले, राजनेता लोगों से कहते हैं कि तुम्हारे लिए सड़कें, एयरपोर्ट, पुल और स्कूल-कालेज बना रहे हैं। यह तो अच्छी बात है, लेकिन इसमें क्या-क्या भ्रष्टाचार कर रहे हैं, यह नहीं बताते। उन्होंने भ्रष्टाचार को लेकर अपनी बात के समर्थन में कांग्रेस के कार्यकाल के एक पूर्व प्रधानमंत्री के उस बयान को कि 'ऊपर से सौ रुपये भेजते हैं, नीचे दस ही पहुंचता है' का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कारपोरेट माफिया और बाजारवादी ताकतों की ही देन है कि दो रुपये की वस्तु दो हजार और बीस हजार की बीस लाख रुपये  में बेची जा रही है। बाबा ने सवाल उठाया कि यह कैसी और किसकी सेवा है। सही मायने में व्यापार के पीछे लूटतंत्र है। 

योग गुरु ने साधकों और देशवासियों से इन सब बातों से ऊपर उठकर योगी-कर्मयोगी बनने और आत्मकल्याण करने का आह्वान किया। कहा कि जीवन को सार्थक बनाने के लिए ऐसा कुछ करो कि राष्ट्र के काम आ सको। उन्होंने दावा किया कि पतंजलि योगपीठ का अर्थ (धन) सौ फीसद परमार्थ के लिए। जबकि, बाकी कंपनियां सीएसआर फंड के तहत सरकारी नियमों के आधार पर यह काम करती हैं।

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