वीआर के नाम से बनाया था थोक दवा विक्रेता का लाइसेंस

नकली दवा फैक्ट्री मामले में जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है। इसके साथ ही नए-नए पटाक्षेप भी हो रहे हैं। मामले के मुख्य आरोपित ने खुद की दवा कंपनी तो खोल ही रखी थी। साथ ही उसने वीआर थोक दवा विक्रेता के नाम पर लाइसेंस भी लिया था।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 16 Aug 2021 09:10 PM (IST) Updated:Mon, 16 Aug 2021 09:10 PM (IST)
वीआर के नाम से बनाया था थोक दवा विक्रेता का लाइसेंस
वीआर के नाम से बनाया था थोक दवा विक्रेता का लाइसेंस

संवाद सहयोगी, रुड़की: नकली दवा फैक्ट्री मामले में जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है। इसके साथ ही नए-नए पटाक्षेप भी हो रहे हैं। मामले के मुख्य आरोपित ने खुद की दवा कंपनी तो खोल ही रखी थी। साथ ही उसने वीआर थोक दवा विक्रेता के नाम पर लाइसेंस भी लिया था। यानी नकली दवाओं के लिए उसे किसी थोक विक्रेता की जरूरत नहीं थी। वह दवाओं को खुद ही मेडिकल स्टोर तक पहुंचाता था।

दो दिन पहले सालियर में माधोपुर मार्ग पर जिस वीआर फार्मा दवा कंपनी पर छापा मारकर भारी संख्या में नकली दवाएं बरामद हुई हैं। उसका संचालक प्रवीण त्यागी बेहद शातिर है। उसने नकली दवाओं को बेचने के लिए वीआर थोक दवा विक्रेता के नाम लाइसेंस लिया था। इससे वह अपनी कंपनी में बनी नकली दवाओं को खुद ही सप्लाई करता था। इसके लिए बाकायदा वह असली बिल दे रहा था। स्थानीय मेडिकल स्टोरों पर भी दवाओं के सप्लाई की जांच ड्रग विभाग कर रहा था। यह दवाएं उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब सहित विभिन्न राज्यों में भेजी जा रही थी। ड्रग इंस्पेक्टर मानवेंद्र सिंह राणा ने बताया कि वीआर के नाम से बनाया गया थोक दवा विक्रेता का लाइसेंस निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि आरोपितों की तलाश पुलिस कर रही है। उनके पकड़े जाने पर कई और जानकारी मिलने की उम्मीद हैं।

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फैक्ट्री में पक्के बिल से मिली जानकारी: वीआर थोक दवा विक्रेता के नाम से बनाया गया लाइसेंस तीन साल पुराना है। फैक्ट्री में छापे के दौरान पकड़ी दवाओं की जांच के दौरान ड्रग विभाग को मिले बिल से पता चला कि आरोपित ने नकली दवाएं बेचने के लिए थोक दवा विक्रेता का लाइसेंस लिया था।

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चार दवाओं के सैंपल भेजे जांच को

फैक्ट्री से बरामद पैक दवाओं के चार सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। ड्रग इंस्पेक्टर मानवेंद्र सिंह राणा ने बताया कि दवाएं नकली हैं, लेकिन इन दवाओं में क्या मिला है। यह लैब की जांच रिपोर्ट से पता चल सकेगा। सेल खड़ी दवाओं में होने की आशंका है।

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