रिन्यूएबल एनर्जी अपनाने से जलवायु परिवर्तन का प्रतिकूल प्रभाव होगा कम

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की ने एनर्जी सिस्टम के मॉडलिग और सिमुलेशन पर पांच दिवसीय वर्चुअल फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 07:13 PM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 07:13 PM (IST)
रिन्यूएबल एनर्जी अपनाने से जलवायु परिवर्तन का प्रतिकूल प्रभाव होगा कम
रिन्यूएबल एनर्जी अपनाने से जलवायु परिवर्तन का प्रतिकूल प्रभाव होगा कम

जागरण संवाददाता, रुड़की: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की ने एनर्जी सिस्टम के मॉडलिग और सिमुलेशन पर पांच दिवसीय वर्चुअल फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया। इसमें देशभर के विभिन्न एआइसीटीई की ओर से मान्यता प्राप्त इंजीनियरिग कॉलेजों के 160 प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में डिजाइन, प्रोसेस इकोनॉमिक्स और लाइफ साइकिल असेसमेंट से लेकर प्रोसेस डेवलपमेंट के विभिन्न स्तरों पर मॉडलिग और सिमुलेशन के लाभों को प्रस्तुत किया गया। इसके अलावा, बायोमास, सौर और हाइड्रो जैसे विभिन्न रिन्यूएबल एनर्जी स्रोतों पर चले सत्र ने फैकल्टी मेंबर्स को व्यापक अनुभव दिया।

आइआइटी रुड़की के डिपार्टमेंट ऑफ हाइड्रो एंड रिन्यूएबल एनर्जी और एआइसीटीई ट्रेनिग एंड लर्निंग (अटल) एकेडमी की संयुक्त पहल से आयोजित कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों को रिन्यूएबल एनर्जी टेक्नोलॉजी में शोध के लिए प्रेरित करना था। साथ ही एनर्जी सिस्टम के मॉडलिग और सिमुलेशन के बारे में बताना था। ताकि रिन्यूएबल एनर्जी टेक्नोलॉजी के वृहद उपयोग से ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़े और 'एनर्जी स्वराज' की प्रतिबद्धता को मजबूती मिले। कार्यशाला में आइआइटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजित के चतुर्वेदी ने कहा कि रिन्यूएबल एनर्जी को अपनाना जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने और ऊर्जा के विकेंद्रीकृत उत्पादन में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह स्थानीय रूप से उत्पन्न ऊर्जा की खपत को बेहतर बनाने में मदद करेगा। आइआइटी रुड़की के डिपार्टमेंट ऑफ हाइड्रो एंड रिन्यूएबल एनर्जी के विभागाध्यक्ष प्रो. एसके सिघल ने कहा कि कोविड-19 ने पर्यावरणीय और सामाजिक निष्पक्षता को प्राप्त करने के लिए सस्टेनबिलिटी, सिक्योर और रिजिल्यंट एनर्जी सिस्टम की आवश्यकता को रेखांकित किया है। रिन्यूएबल एनर्जी के उत्पादन और निवेश को बढ़ावा देने के लिए यह समय की मांग है कि प्रौद्योगिकी बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के साथ-साथ वर्कफोर्स को भी प्रशिक्षित किया जाए। इसमें वरिष्ठ फैकल्टी मेंबर प्रो. आरपी सैनी, प्रो. अरुण कुमार, प्रो. रिदम सिंह, प्रो. प्रथम अरोड़ा और आइआइटी मुंबई से प्रो. रंगन बनर्जी उपस्थित रहे।

chat bot
आपका साथी