आक्सीजन सिलिंडर उपकरणों की कालाबाजारी में दो गिरफ्तार

मेडिकल आक्सीजन सिलिंडर के रेगुलेटर व अन्य उपकरणों की कालाबाजारी कर रहे होटल कारोबारी सहित दो आरोपितों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने ग्राहक बनकर जाल बिछाते हुए कालाबाजारी का भंडाफोड़ किया। पड़ताल में सामने आया है कि 1300 रुपये के रेगुलेटर की कीमत छह हजार रुपये तक वसूल की जा रही थी।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 02 May 2021 11:21 PM (IST) Updated:Sun, 02 May 2021 11:21 PM (IST)
आक्सीजन सिलिंडर उपकरणों की  कालाबाजारी में दो गिरफ्तार
आक्सीजन सिलिंडर उपकरणों की कालाबाजारी में दो गिरफ्तार

जागरण संवाददाता, हरिद्वार : मेडिकल आक्सीजन सिलिंडर के रेगुलेटर व अन्य उपकरणों की कालाबाजारी कर रहे होटल कारोबारी सहित दो आरोपितों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने ग्राहक बनकर जाल बिछाते हुए कालाबाजारी का भंडाफोड़ किया। पड़ताल में सामने आया है कि 1300 रुपये के रेगुलेटर की कीमत छह हजार रुपये तक वसूल की जा रही थी। उनकी निशानदेही पर पुलिस ने सिलिंडर के 11 रेगुलेटर, रेगुलेटर की 15 चाबियां, दो फ्लो मीटर, चार अ‌र्द्ध निर्मित फ्लो मीटर व नौ नोजल, दो मोबाइल फोन और पांच आक्सीजन मास्क बरामद किए हैं।

सीओ सिटी अभय प्रताप सिंह ने बताया कि हरिद्वार में जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी की शिकायतों पर थाना कोतवाली स्तर पर पुलिस टीमों का गठन किया गया है। रविवार को ज्वालापुर क्षेत्र में कालाबाजारी की सूचना पर पुलिस टीम ने धरपकड़ के लिए जाल बिछाया। योजना के तहत पुलिसकर्मी ने ग्राहक बनकर आरोपितों से संपर्क साधा और मुंहमांगी कीमत पर ऑक्सीजन सिलिंडर का रेगुलेटर खरीदने के लिए बुलाया। इस तरह दो आरोपित पुलिस के हत्थे चढ़ गए। कोतवाली लाकर पूछताछ में आरोपितों ने अपने नाम एस्ले अरोड़ा निवासी विकास कॉलोनी हरिद्वार और सन्नी सिंह निवासी गोल गुरुद्वारा ज्वालापुर बताए। पूछताछ में पता चला कि सन्नी सिंह कई सालों से ऑक्सीजन सिलेंडर की रिपेयरिग का काम करता है। सेक्टर टू बैरियर व रेलवे स्टेशन के बीच उसकी वेल्डिग की दुकान है। जबकि दूसरे आरोपित एस्ले अरोड़ा का ट्रक यूनियन परिसर में रेस्टोरेंट है। दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर चालान कर दिया गया है। मदद के लिए लोग करते थे संपर्क

मदद का दिखावा करके धंधेबाज कालाबाजारी का धंधा करने से बाज नहीं आ रहे। एस्ले अरोड़ा ने आक्सीजन सिलिंडर से जुड़ी मदद दिलाने के लिए कई वाट्सएप ग्रुप में अपने मोबाइल नंबर डाले हुए थे। मदद के लिए लोग उससे संपर्क करते थे। बाद में वह किल्लत का हवाला देते हुए उनसे उपकरणों की ज्यादा कीमतें वसूलता था। पुलिस ने ग्राहक बनकर उससे सौदा किया तो छह हजार रुपये से कम कीमत पर रेगुलेटर देने के लिए तैयार नहीं हुआ। उसे बाद में पता चला कि वह पुलिस की गिरफ्त में आ चुका है, तब उसने पुलिस को गुमराह करने का प्रयास किया। उसका कहना था कि तीन हजार रुपये का रेगुलेटर है और तीन हजार रुपये सिक्योरिटी के तौर पर ले रहा है। जो बाद में वापस कर दी जाएगी। ज्वालापुर कोतवाली प्रभारी चंद्र चंद्राकर नैथानी ने बताया कि पुलिस की जांच में पता चला कि कोई रकम वापस नहीं की जाती थी।

chat bot
आपका साथी