डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों के साथ करें अच्छा व्यवहार

बचों की परवरिश करके उन्हें एक बेहतर नागरिक बनाना एक बड़ी जिम्मेदारी है। यह जिम्मेदारी तब और चुनौतीपूर्ण हो जाती है जब बचों को कुछ अनोखी समस्याओं से जूझना हो। उन्होंने कहा कि डिस्लेक्सिया से पीड़ित बचा अन्य बचों की तरह से दिखाई देता है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 07:00 PM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 07:00 PM (IST)
डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों के साथ करें अच्छा व्यवहार
डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों के साथ करें अच्छा व्यवहार

संवाद सहयोगी, रुड़की : बच्चों की परवरिश करके उन्हें एक बेहतर नागरिक बनाना एक बड़ी जिम्मेदारी है। यह जिम्मेदारी तब और चुनौतीपूर्ण हो जाती है, जब बच्चों को कुछ अनोखी समस्याओं से जूझना हो। उन्होंने कहा कि डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चा अन्य बच्चों की तरह से दिखाई देता है। उसका व्यवहार भी सामान्य होता है। लेकिन, पढ़ने, लिखने और बोलने में उसे दिक्कतें आती हैं। वह याद नहीं कर पाता है। यदि इससे पीड़ित बच्चों की पहचान कर ली जाए तो इससे निपटना बेहद आसान हो जाता है।

बुधवार को केंद्रीय विद्यालय नंबर-एक में डिस्लेक्सिया पर आयोजित वेबिनार में विद्यालय के प्राचार्य वीके त्यागी ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि स्कूल व अभिभावकों के कुछ प्रयासों से बच्चा बिल्कुल ठीक हो सकता है। वेबिनार में जीव विज्ञान के शिक्षक अरविद कुमार गुप्ता और अंग्रेजी शिक्षक ओमबीर सिंह ने कहा है कि डिस्लेक्सिया कोई बीमारी नहीं है। कुछ प्रयासों से ही बच्चों को इससे निजात दिलाई जा सकती है। बहुत से प्रसिद्ध लोग बचपन में इस समस्या से ग्रसित थे। लेकिन, आज वे सफलता की नई ऊंचाइयां छू रहे हैं। उप प्राचार्या अंजू सिंह ने कहा कि जब ऐसे बच्चे स्कूल में पढ़ना शुरू करते हैं तो बाकी बच्चों की तुलना में उनका प्रदर्शन काफी कम रहता है। वह नए शब्द नहीं सीख पाते। अगर बच्चे की नजर ठीक है, वह चीजों को समझ रहा है, पढ़ने की कोशिश कर रहा है फिर भी नंबर कम आ रहे हैं तो लर्निंग डिसआर्डर की जांच करनी चाहिए। इसकी सबसे पहले पहचान स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक करते हैं। इसलिए उनका जागरूक होना जरूरी है।

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