पर्यटन स्वरोजगार ऋण घपले में अफसरों पर आंच, पढ़िए पूरी खबर
पर्यटन स्वरोजगार योजना के गड़बड़झाले में 10 सेवारत और दो सेवानिवृत्त आइएएस समेत दो दर्जन से ज्यादा अफसरों की गर्दन फंसती नजर आ रही है।
हरिद्वार, जेएनएन। वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना के गड़बड़झाले में 10 सेवारत और दो सेवानिवृत्त आइएएस समेत दो दर्जन से ज्यादा अफसरों की गर्दन फंसती नजर आ रही है। ये सभी वर्ष 2003 से 2011 के बीच हरिद्वार में डीएम, सीडीओ, जिला पर्यटन अधिकारी, जिला समाज कल्याण अधिकारी, जिला उद्योग केंद्र में महाप्रबंधक और लीड बैंक अधिकारी के रूप में तैनात रहे। इस दौरान हरिद्वार में उपरोक्त पदों पर तैनात रहे अधिकारियों के खिलाफ न्यायालय के आदेश पर सिडकुल थाने में धोखाधड़ी और षडयंत्र रचने का मुकदमा दर्ज किया गया है। बता दें कि तब हरिद्वार में डीएम और सीडीओ पद पर तैनात रहे अफसरों में ज्यादातर वर्तमान में उत्तराखंड शासन में महत्वपूर्ण पदों पर तैनात हैं। विवेचना अधिकारी का कहना है कि मुकदमे में अभी कोई नामजद नहीं है, केवल पदनाम का उल्लेख किया गया है।
अधिवक्ता अरुण भदौरिया ने इस संबंध में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीनियर डिवीजन) रजनीश शुक्ला की अदालत में याचिका दाखिल की थी। आरोप लगाया था कि अधिकारियों ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना में अपात्रों को सरकारी खजाने से ऋण की मंजूरी दी। वर्ष 2003 से 31 मई 2011 के दौरान जिले में इस योजना के तहत 252 लोगों को ऋण दिया गया। इन सभी से हरिद्वार का स्थाई निवासी, बेरोजगार होने, आयकर दाता न होने और किसी वित्तीय संस्था का डिफाल्टर न होने का शपथ पत्र लिया गया था। जबकि वास्तविकता यह कि इनमें कई आवेदक रसूखदारों के परिजन थे। यहां तक कि आयकर देने वालों को भी अधिकारियों ने इस योजना के तहत ऋण स्वीकृत कर दिया। जबकि, योजना की पहली शर्त पूर्णरूप से बेरोजगार और आयकर दाता न होना थी। याचिका में कहा गया था कि अधिकारियों ने पद का दुरुपयोग कर अपात्रों को ऋण देकर सरकार के साथ धोखाधड़ी की।
याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने सिडकुल थाने को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे। शुक्रवार को इस संबंध में दो दर्जन से ज्यादा अधिकारियों पर पदनाम से धोखाधड़ी और साजिश रचने का मुकदमा दर्ज कर लिया गया। सिडकुल थानाध्यक्ष देवराज शर्मा ने बताया प्रकरण की जांच शुरू कर दी गई है। फिलहाल पदनाम से मुकदमा दर्ज किया गया है, जांच में जो नाम सामने आएंगे, उन्हें इसमें जोड़ दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि अदालत ने इससे पहले 19 जनवरी को इस संबंध में रानीपुर थानाध्यक्ष को 30 जनवरी तक मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे, लेकिन मुकदमा दर्ज न होने पर याची ने थानाध्यक्ष के खिलाफ अवमानना वाद दायर किया था, जो अभी विचाराधीन है। इस बीच, रानीपुर थानाध्यक्ष ने अदालत में याचिका दाखिल कर बताया कि यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र का नहीं है, इसका संबंध सिडकुल थाने से है।
आठ सालों में छह डीएम व पांच सीडीओ बदले
हरिद्वार जिले में वर्ष 2003 से वर्ष 2011 के मध्य छह जिलाधिकारी, पांच सीडीओ, सात जिला समाज कल्याण अधिकारी और पांच जिला पर्यटन अधिकारी अलग-अलग कार्यकाल के लिए तैनात रहे।
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