Tokyo Olympics 2020: वंदना कटारिया ने कहा- ओलिंपिक में पदक जीतकर ही वापस आएगी टीम

Tokyo Olympics 2020 आस्ट्रेलिया के साथ मैच जीतने के बाद फोन पर हरिद्वार अपने स्वजन से बातचीत में भारतीय टीम की खिलाड़ी वंदना कटारिया ने कहा कि टीम का हौसला बुलंद है। उम्मीद ही नहीं बल्कि पूरा विश्वास है कि टीम ओलिंपिक पदक के साथ ही भारत वापस आएगी।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 04:05 AM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 04:05 AM (IST)
Tokyo Olympics 2020: वंदना कटारिया ने कहा- ओलिंपिक में पदक जीतकर ही वापस आएगी टीम
भारतीय महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी वंदना कटारिया ने कहा- ओलिंपिक में पदक जीतकर ही वापस आएगी टीम।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। Tokyo Olympics 2020 'टीम का हौसला बुलंद है। सभी खिलाड़ी एकजुट होकर बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। उम्मीद ही नहीं, बल्कि पूरा विश्वास है कि टीम ओलिंपिक पदक के साथ ही भारत वापस आएगी।' आस्ट्रेलिया के साथ मैच जीतने के बाद फोन पर हरिद्वार अपने स्वजन से बातचीत में भारतीय टीम की खिलाड़ी वंदना कटारिया ने यह बात कही। आस्ट्रेलिया के साथ मैच जीतकर भारतीय टीम के सेमीफाइनल में पहुंचने के बाद वंदना के घर में जश्न मनाया गया। आसपास के लोग वंदना के स्वजन को बधाई देने उनके घर पहुंचे। टीम के पहली बार सेमीफाइनल में पहुंचने से उत्साहित वंदना की मां सोरण देवी ने बातचीत में कहा कि अब उनका बस एक ही सपना है कि बेटी ओलिंपिक में पदक जीतकर देश का नाम रोशन करे और पिता को श्रद्धांजलि दे।

कभी हाकी स्टिक और जूते खरीदने के नहीं थे पैसे

शापिंग करना भले ही अब वंदना का शौक है, लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब इनके पास अपनी छोटी-छोटी जरूरतें पूरी करने के लिए भी पैसा नहीं होते थे। यहां तक की वह हाकी स्टिक और जूते तक नहीं खरीद पाती थीं। हास्टल की छुट्टी होने पर जब सभी लड़कियां अपने घर चली जाती थीं, लेकिन वंदना के पास पैसे नहीं होते थे और वह अकेले ही हास्टल में रहती थीं। बकौल वंदना इस दौरान हमेशा ही कोच पूनम लता ने उनकी मदद की।

बेटी को मिला मां और पिता का साथ

रोशनाबाद में एक साधारण से परिवार में जन्मीं वंदना कटारिया के पिता नाहर सिंह ने भेल से सेवानिवृत्त होकर दूध का व्यवसाय शुरू किया था। उनकी सरपरस्ती में वंदना कटारिया ने रोशनाबाद से हाकी की यात्रा शुरू की। उस वक्त गांव में वंदना के इस कदम को लेकर स्थानीय लोगों ने परिवार के साथ उनका भी मजाक उड़ाया था। पिता नाहर ङ्क्षसह और माता सोरण देवी ने इसकी परवाह न करते हुए वंदना के सपने को साकार करने के लिए हर कदम पर उसकी सहायता की।

पिता की इच्छा थी कि वंदना जीते ओलिंपिक में स्वर्ण

वंदना के पिता नाहर सिंह की इच्छा थी कि बेटी ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता टीम का हिस्सा बनें। पिता के इस सपने को साकार करने के लिए भारतीय टीम के कैंप में वंदना ने अपनी तैयारियों के लिए जी-जान एक कर दी थी। तैयारियों के दौरान पिता की मृत्यु का समाचार उसे मिला। असमंजस की स्थिति यह कि एक तरफ मन कह रहा था कि पिता के अंतिम दर्शन के साथ अंतिम विदाई देने को घर जाना है, दूसरी तरफ पिता के सपने को साकार करने की ख्वाहिश। ऐसे समय में वंदना के भाई पंकज व मां सोरण देवी ने संबल प्रदान किया। मां सोरण देवी का कहना है कि हमने वंदना से कहा कि जिस उद्देश्य की कामना को लेकर मेहनत कर रही हो पहले उसे पूरा करो, पिता का आशीर्वाद सदैव तुम्हारे साथ रहेगा।

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