गंगा रक्षा आंदोलन को धार देने मातृसदन में जुटे पर्यावरण प्रेमी

गंगा रक्षा संबंधी मांगों को लेकर मातृसदन में रविवार को आयोजित गोष्ठी में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पांडे ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के आंदोलन के प्रति गंभीर नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 11:30 PM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 11:30 PM (IST)
गंगा रक्षा आंदोलन को धार देने  मातृसदन में जुटे पर्यावरण प्रेमी
गंगा रक्षा आंदोलन को धार देने मातृसदन में जुटे पर्यावरण प्रेमी

जागरण संवाददाता, हरिद्वार : गंगा रक्षा संबंधी मांगों को लेकर मातृसदन में रविवार को आयोजित गोष्ठी में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पांडे ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के आंदोलन के प्रति गंभीर नहीं है। आंदोलन में 500 से ज्यादा व्यक्तियों ने जान गंवाई। ऐसे में मातृसदन के ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद के आंदोलन से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। मातृसदन के आंदोलन को धार देने के लिए उन्होंने गंगा और पर्यावरण प्रेमियों से एकजुट होने की अपील की।

इस मौके पर मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि मातृ सदन के आंदोलन को देश भर में चलाने के लिए गोष्ठी में आए व्यक्तियों ने संकल्प लिया है। कहा कि संसद में प्रस्ताव पारित होने के बाद भी सरकार ने गंगा रक्षा के लिए कोई कार्य नहीं किया। इसका उनके पास लिखित में प्रमाण मौजूद है। गंगापुत्र निगमानंद की हत्या को लेकर सरकार ने गंभीरता से कार्य किया होता तो पूर्व प्रोफेसर ज्ञानस्वरूप सानंद को जान नहीं गंवानी पड़ती। साध्वी पदमावती और ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद के खिलाफ षड्यंत्र किया गया। साध्वी पदमावती आज भी सरकार की ओर से किए गए अत्याचार का प्रत्यक्ष प्रमाण है। ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद के अनशन के 33 दिन बाद भी सरकार की ओर से कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है।

गोष्ठी में पर्यावरणविद रिद्मिा पांडे ने कहा कि गंगा को लेकर सरकारें बड़े-बड़े दावे तो करती है। लेकिन, गंगा आज भी मैली है। गंगा को लेकर समूचे विश्व में अभियान चलाने की जरूरत है। समाजसेवी फैजल खान ने कहा कि गंगा में सभी धर्म के व्यक्तियों की आस्था निवास करती है। ऐसे में गंगा की रक्षा सभी की जिम्मेदारी है। गोष्ठी में मानसी, बालभारती, संजीव चौधरी, डा. विजय वर्मा, रामेश्वर गौड़, भोपाल सिंह चौधरी, अंजू मिश्रा, गौरव, निर्मला समेत बड़ी संख्या में गंगाभक्त मौजूद रहे।

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