एटक के शताब्दी दिवस पर ट्रेड यूनियन आंदोलनों में भाग लेने वालों को किया सम्मानित

भेल सेक्टर पांच स्थित लुंबा नागर भवन में शनिवार को एटक हीप और सीएफएफपी की ओर से एटक का शताब्दी दिवस समारोह मनाया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 08:14 PM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 08:14 PM (IST)
एटक के शताब्दी दिवस पर ट्रेड यूनियन आंदोलनों में भाग लेने वालों को किया सम्मानित
एटक के शताब्दी दिवस पर ट्रेड यूनियन आंदोलनों में भाग लेने वालों को किया सम्मानित

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: भेल सेक्टर पांच स्थित लुंबा नागर भवन में शनिवार को एटक, हीप और सीएफएफपी की ओर से एटक का शताब्दी दिवस समारोह मनाया गया। एटक के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव कामरेड गुरदास दास गुप्ता को उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। ट्रेड आंदोलनों में बढ़ चढ़कर भाग लेने वाले साथियों को सम्मानित भी किया गया।

एटक, हीप के महामंत्री संदीप चौधरी ने कहा कि आज का दिन पूरे भारतवर्ष के मजदूरों के लिये गौरव का दिन है। आज देश के अंदर ट्रेड यूनियन आंदोलन को 100 वर्ष पूरे हो गए हैं। एटक एक मात्र ऐसी ट्रेड यूनियन है जिसने मजदूरों की लड़ाई के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया था। एटक, सीएफएफपी के महामंत्री सौरभ त्यागी ने कहा कि एटक व‌र्ल्ड फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियन, विश्व मजदूर महासंघ से संबद्ध है। एटक की तर्ज पर आज देश में 13 सेंट्रल ट्रेड यूनियन और लगभग 65 हजार रजिस्टर्ड ट्रेड यूनियन काम कर रही हैं। इसलिए एटक को ट्रेड यूनियन का जन्मदाता भी कहा जाता है। एटक, हीप के संरक्षक केपी सिंह ने कहा कि एटक की स्थापना के बाद से ही एटक यूनियन का उद्देश्य मजदूर वर्ग की आर्थिक और सामाजिक स्थितियों में सुधार करना है।

एटक उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष एमएस त्यागी ने कहा कि एटक यूनियन की स्थापना ऐसे समय पर हुई जब देश अंग्रेजी हुकूमत का गुलाम था। चारों ओर उत्पीड़न, शोषण व्याप्त था। ऐसे समय मजदूर वर्ग एकजुट हुआ और बंबई में लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में भारत की प्रथम ट्रेड यूनियन एटक का गठन किया। एटक ने गठन के बाद से ही लगातार मजदूरों की मांगों के लिए तथा अंग्रेजी सरकार से भारत वर्ष की आजादी के लिए लगातार संघर्ष किया है। वर्तमान दौर में पूंजीपतियों और सरकारों के गठजोड़ ने फिर से मजदूरों को 100 वर्ष पुराने इतिहास की ओर धकेलने का प्रयास किया है। जिससे सार्वजनिक क्षेत्र का मजदूर भी अछूता नहीं है। भेल सहित अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के हालात भी कमोबेश ऐसे ही है। विनिवेशीकरण, निजीकरण का खतरा मंडरा रहा है। इस दौरान एटक, हीप के अध्यक्ष मनमोहन कुमार, एटक, सीएफएफपी के कामरेड अध्यक्ष आइडी पंत, जिलाध्यक्ष मुनारिका यादव, जिला महामंत्री दीपक शांडिल्य, रविप्रताप राय, अमृत रंजन, बबलू त्यागी, विद्यासागर गुप्ता, एमएस वर्मा, टीके वर्मा, राम संजीवन, संतोष तिवारी, अशोक शर्मा, दीपक कुमार, गजेंद्र कुमार, परमाल सिंह, नईम खान, घनश्याम यादव, विकास चौधरी, पवन कुमार, दिनेश सलोनिया आदि मौजूद रहे।

फोटो 9..एटक के शताब्दी दिवस पर ट्रेड यूनियन आंदोलनों में भाग लेने वालों को किया सम्मानित

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