जिलाधिकारी करेंगे नगर निगम के गबन की जांच

नगर निगम में साल 2015 के आडिट में सामने आए गबन के मामले में शहरी विकास निदेशालय ने जिलाधिकारी को जांच के निर्देश दिए हैं। गड़बड़ी पकड़ में आने के बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं की गई इसको लेकर राज्य सूचना आयोग ने सवाल उठाए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Oct 2020 08:57 PM (IST) Updated:Wed, 28 Oct 2020 08:57 PM (IST)
जिलाधिकारी करेंगे नगर निगम के गबन की जांच
जिलाधिकारी करेंगे नगर निगम के गबन की जांच

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: नगर निगम में साल 2015 के आडिट में सामने आए गबन के मामले में शहरी विकास निदेशालय ने जिलाधिकारी को जांच के निर्देश दिए हैं। गड़बड़ी पकड़ में आने के बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं की गई, इसको लेकर राज्य सूचना आयोग ने सवाल उठाए हैं।

नगर निगम में वर्ष 2015 में आडिट के दौरान नगर निगम ने रेलवे विभाग से अपना बकाया 34.46 लाख रुपये को कई साल तक वसूल ही नहीं किया। साथ ही, नगर निगम की लेखा बही में 3.70 लाख रुपये का गबन पाया गया। आडिट टीम ने दोनों मामलों में नगर आयुक्त के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की थी। सामाजिक कार्यकर्ता रमेश चंद्र शर्मा ने सूचना अधिकार के तहत नगर निगम से यह जानकारी मांगी थी कि दोनों मामलों में क्या कार्रवाई की गई है। नगर निगम की ओर से इस बारे में गोलमोल जवाब दिया गया। जिससे यह साफ हो गया कि तत्कालीन महापौर मनोज गर्ग व तत्कालीन नगर आयुक्त नितिन भदौरिया के सामने बोर्ड बैठक में यह प्रकरण आया था, लेकिन इसमें कोई कार्रवाई नहीं हुई। आयोग ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए शहरी विकास विभाग को आदेश दिए कि रेलवे से बकाया वसूली न होने और गबन के मामले में जांच कराते हुए कार्रवाई की जाए। जिस पर शहरी विकास विभाग के निदेशक विनोद कुमार सुमन ने हरिद्वार जिलाधिकारी को पत्र भेजकर दोनों मामलों में जांच कराते हुए रिपोर्ट मांगी है। सीबीआइ जांच कराए सरकार: शर्मा

हरिद्वार: इस मामले को लेकर सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाने वाले आरटीआइ कार्यकर्ता रमेश चंद्र शर्मा ने पूरे मामले की सीबीआइ जांच कराने की मांग की है। रमेश चंद्र शर्मा ने आरोप लगाया कि तत्कालीन महापौर और नगर आयुक्त ने दोषियों को बचाने का काम किया है। गबन से सरकारी राजस्व को लाखों का नुकसान हुआ है। शासन से इस मामले की सीबीआइ जांच का आग्रह किया गया है।

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