सेंट गेब्रियल के 25 वर्ष पुराने छात्रों ने शिक्षकों को किया सम्मानित

सेंट गेब्रियल के 1996 बैच के छात्रों की ओर से शिक्षक दिवस कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर शिक्षिका प्रेमिला शर्मा ने कहा कि उनके लिए गर्व की बात है कि आज 25 साल बाद भी छात्रों ने उन्हें याद रखा और सम्मान दिया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Sep 2021 08:10 PM (IST) Updated:Sun, 05 Sep 2021 08:10 PM (IST)
सेंट गेब्रियल के 25 वर्ष पुराने छात्रों ने शिक्षकों को किया सम्मानित
सेंट गेब्रियल के 25 वर्ष पुराने छात्रों ने शिक्षकों को किया सम्मानित

जागरण संवाददाता, रुड़की: सेंट गेब्रियल के 1996 बैच के छात्रों की ओर से शिक्षक दिवस कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर शिक्षिका प्रेमिला शर्मा ने कहा कि उनके लिए गर्व की बात है कि आज 25 साल बाद भी छात्रों ने उन्हें याद रखा और सम्मान दिया। शिक्षक संजय राठी ने कहा कि यह देखकर अच्छा लगा कि उनकी ओर से पढ़ाए गए छात्र आज अपने पैरों पर खड़े हैं। उन्होंने समाज में एक अच्छा मुकाम हासिल किया है।

बीना शर्मा ने इस दौरान बताया कि किस प्रकार से छात्र शरारत करते थे। उन्होंने कहा कि उस समय और आज के समय में अंतर है, तब शिक्षक को अधिकार होता था कि वह छात्र को अपने अनुसार दंड देकर सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करे। आज अगर छात्र को हल्की सी डांट भी दी जाए तो माता-पिता लड़ने आ जाते हैं। छात्र सचिन गुप्ता ने कहा कि माता पिता से बड़ा दर्जा गुरु का है, माता-पिता सिर्फ जन्म देते हैं, लेकिन गुरु समाज मे जीने का सलीका सिखाते हैं। इस मौके पर अंशुल जैन, संजय राठी, अवतार सिंह आदि शिक्षकों का सम्मान किया गया। सम्मान करने वाले पूर्व छात्रों में सचिन गुप्ता, हिमांशु सिंह पुंडीर, सचिन गुलाटी, सचिन कालरा, रजनीश चौहान, आशीष साहनी, रवीश, कुलदीप, शिवमपुरी, रजनीश, जसविदर आदि मौजूद रहे।

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जब शिक्षक से मांग लिए फिल्म देखने के लिए पैसे

रुड़की: 1996 बैच के छात्रों ने जब शिक्षकों का सम्मान किया तो उस समय अपनी पुरानी यादें भी ताजा की। छात्रों ने कहा कि वह अपने सहपाठियों के साथ स्कूल से बंक मारकर कर फिल्म देखने सिनेमा हाल गए थे, लेकिन वहां टिकट लेने के समय उनकी जेब में पैसे कम पड़ गए। वह इस आस में बाहर आ गए कि कोई जानने वाला मिले तो उससे पैसे लेकर टिकट खरीदा जाए। तभी उनकी नजर स्कूल के एक शिक्षक पर गई। उन्होंने शिक्षक के पास जाकर कहा, सर क्या मुझे दस रुपये मिलेंगे। छात्र ने बताया कि शिक्षक की शालीनता का यह सबसे बड़ा उदाहरण है कि उन्हें पता था कि बच्चे फिल्म देखने के लिए पैसे मांग रहे हैं और उन्होंने फिर भी पैसे दे दिए।

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