सुसाइड नोट पर लिखे छह मोबाइल नंबर, फिर भी पांच दिन तक सड़ता रहा शव

सुसाइड नोट में छह मोबाइल नंबर व पूरा पता लिखा होने के बाद भी पांच दिन तक सहारनपुर जिले के भलस्वा ईसापुर गांव बलियाखेड़ी निवासी युवक का शव मोर्चरी में सड़ता रहा। पांच दिन बाद पुलिस की यह लापरवाही उस समय सामने आई।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 08:26 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 08:26 PM (IST)
सुसाइड नोट पर लिखे छह मोबाइल नंबर, फिर भी पांच दिन तक सड़ता रहा शव
सुसाइड नोट पर लिखे छह मोबाइल नंबर, फिर भी पांच दिन तक सड़ता रहा शव

संवाद सहयोगी, रुड़की : सुसाइड नोट में छह मोबाइल नंबर व पूरा पता लिखा होने के बाद भी पांच दिन तक सहारनपुर जिले के भलस्वा ईसापुर गांव, बलियाखेड़ी निवासी युवक का शव मोर्चरी में सड़ता रहा। पांच दिन बाद पुलिस की यह लापरवाही उस समय सामने आई। जब पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए पंचनामा भरने की कार्रवाई शुरू की। तब मृतक की पैंट की जेब से सुसाइड नोट मिला।

झबरेड़ा थाना क्षेत्र में गंगनहर की देवबंद ब्रांच के समीप 11 अक्टूबर को एक खेत में पेड़ पर एक युवक फांसी पर लटका मिला था। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर उसे सिविल अस्पताल की मोर्चरी में भिजवा दिया था। घटना के पांच दिन बाद शनिवार को पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए उसका पंचनामा भरा। इस दौरान जब मृतक युवक के कपड़ों की तलाशी ली गई तो उसमें एक पालीथिन में लिपटा एक सुसाइड नोट मिला। जिसमें लिखा था कि वह मानसिक रूप से बेहद परेशान है। इसी कारण वह आत्महत्या कर रहा है। उसके शव को उसके घर पहुंचा देना। सुसाइड नोट में युवक के भाई सहित छह अन्य के मोबाइल नंबर भी लिखे थे। जब पुलिस ने एक नंबर पर काल की तो वह युवक के घर पर मिला। युवक के भाई ने बताया कि उसका भाई आशीष लापता है।

वह भलस्वा ईसापुर गांव, डाकखाना- बलियाखेड़ी, जिला सहारनपुर रहता है। पुलिस की सूचना पर स्वजन रुड़की स्थित सिविल अस्पताल की मोर्चरी पर पहुंचे। यहां उन्होंने शव की पहचान की। स्वजन ने बताया कि आशीष दो अक्टूबर से लापता था। वह तभी से उसकी तलाश में जुटे थे। वहीं यदि पुलिस इस अज्ञात शव को लेकर गंभीरता दिखाती तो 11 अक्टूबर को ही मृतक की पहचान हो जाती। नियमानुसार यदि पुलिस को कोई अज्ञात शव मिलता है तो पुलिस को शव की शिनाख्त के लिए पहले तो उसके कपड़ों को चेक करती है। ताकि यदि उसके कपड़ें आदि की जेब में कोई आइडी, कोई ऐसा कागजात हो। जिससे मृतक की पहचान हो सके। लेकिन, इस मामले में झबरेड़ा पुलिस ने ऐसा कुछ नहीं किया। पुलिस ने शव को सीधे मोर्चरी में भिजवा दिया। यही नहीं अज्ञात शव का अंतिम संस्कार 72 घंटे बाद होना चाहिए। लेकिन, पुलिस ने छठे दिन इस प्रक्रिया को पूरा करने सिविल अस्पताल की मोर्चरी पहुंची।

chat bot
आपका साथी