'मातृ आंचल' की छांव में खिल रहे भविष्य के फूल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को हरिद्वार की एक साध्वी बीते दो दशक से साकार कर रही है। मथुरा रेलवे स्टेशन पर मिली एक अबोध बच्ची की परवरिश से शुरू हुआ यह सफर साल दर साल बढ़ता जा रहा है। साध्वी कमलेश भारती की मातृ आंचल संस्था से अब तक 800 से अधिक बालिकाएं शिक्षा प्राप्त कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ चुकी हैं। फिलहाल संस्था 70 अनाथ बालिकाओं का संरक्षण कर रही है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 21 Nov 2021 08:41 PM (IST) Updated:Sun, 21 Nov 2021 10:48 PM (IST)
'मातृ आंचल' की छांव में खिल रहे भविष्य के फूल
'मातृ आंचल' की छांव में खिल रहे भविष्य के फूल

मनीष कुमार, हरिद्वार

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' को हरिद्वार की एक साध्वी बीते दो दशक से साकार कर रही है। मथुरा रेलवे स्टेशन पर मिली एक अबोध बच्ची की परवरिश से शुरू हुआ यह सफर साल दर साल बढ़ता जा रहा है। साध्वी कमलेश भारती की मातृ आंचल संस्था से अब तक 800 से अधिक बालिकाएं शिक्षा प्राप्त कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ चुकी हैं। फिलहाल संस्था 70 अनाथ बालिकाओं का संरक्षण कर रही है। अब तक 22 कन्याओं को पाल-पोस और शिक्षित कर समाज के सहयोग से उनका विवाह भी कराया है। इसे देखते हुए महिला एवं बाल विकास के क्षेत्र में सरसंघ चालक मोहन भागवत ने साध्वी कमलेश भारती को 'संत ईश्वर सम्मान' से नवाजा है।

सितंबर 2000 में आरएसएस कार्यकत्र्ता प्रह्लाद को मथुरा रेलवे स्टेशन पर तीन साल की लावारिस बालिका मिली थी। वह उसे लेकर साध्वी कमलेश भारती के पास पहुंचे और अपनी माली हालत का जिक्र करते हुए उसे रखने का अनुरोध किया। इसे साध्वी ने न केवल स्वीकार किया, बल्कि यहीं से उन्हें अनाथ और असहाय बालिकाओं को संरक्षण देने की प्रेरणा मिली। इसके बाद उनकी खड़खड़ी हिल बाईपास स्थित मातृ आंचल संस्था में एक के बाद एक कई बालिकाओं को मां का आंचल ही नहीं, शिक्षा और संस्कार भी मिला। इनमें एक सिडकुल की फैक्ट्री में एचआर मैनेजर है तो एक बरेली में नर्स और यमुना नगर में शिक्षिका। बीए, बीकाम और इंटरमीडिएट करने वाली कन्याओं की भी अच्छी खासी संख्या है। संस्था की ओर से उन्हें स्वावलंबी बनाने के लिए जूडो-कराटे से लेकर सिलाई, कढ़ाई, पेंटिग आदि भी सिखाया जा रहा है।

--------

संस्था का प्रबंधन महिलाओं के हाथ

मातृ आंचल संस्था का प्रबंधन महिलाओं के पास ही है। कार्यालय स्टाफ से लेकर भोजन पकाने जैसे कार्य महिलाएं ही कर रही हैं। वर्तमान में यहां 20 से 25 कर्मचारी कार्यरत हैं।

--------

2010 से जगजीतपुर में संचालित है संस्था: कन्याओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए वर्ष 2010 में खड़खड़ी से संस्था जगजीतपुर शिफ्ट हो हुई। राजा गार्डन में लीज पर ली गई भूमि पर संस्था संचालित हो रही है। वर्तमान में यहां भोजनालय, पुस्तकालय, गोशाला समेत 50 कमरे हैं। --------

खर्च निकालने को शुरू किया स्कूल

संस्था का खर्च निकालने के लिए मातृ आंचल की ओर से अब स्कूल भी संचालित किया जा रहा है, जहां वर्तमान में आठवीं तक की शिक्षा दी जा रही है। बच्चों को पढ़ाने के लिए नौ शिक्षिकाएं रखी गई हैं। स्कूल में रेहड़ी, ठेली लगाने वाले गरीब परिवारों के बच्चों को दाखिले में प्राथमिकता दी जाती है। फीस भी मामूली रखी गई है। एक ही परिवार के दूसरे बच्चे को फीस में पचास प्रतिशत छूट भी दी जाती है।

---

महिला एवं बाल विकास के क्षेत्र में सरसंघ चालक मोहन भागवत से संत ईश्वर सम्मान पाकर बेहद अभिभूत हूं। कन्याओं को स्वावलंबी बनाना मेरे जीवन की बड़ी सफलता है। बालिकाएं भौतिकवाद से दूर रहकर समाज से जुड़कर चलें और खुद को संभाले रखें यही संस्था का मुख्य ध्येय है।

साध्वी कमलेश भारती, संस्थापिका, मातृ आंचल संस्था, जगजीतपुर, हरिद्वार

chat bot
आपका साथी