सिविल अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चे का बनेगा प्रमाण-पत्र

थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के अभिभावकों को अब बच्चे की बीमारी का प्रमाण-पत्र हासिल करने के लिए देहरादून की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। सिविल अस्पताल रुड़की के तीन चिकित्सकों का एक पैनल ही अब जांच के बाद यह प्रमाण-पत्र जारी करेगा।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 05:16 PM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 05:16 PM (IST)
सिविल अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चे का बनेगा प्रमाण-पत्र
सिविल अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चे का बनेगा प्रमाण-पत्र

संवाद सहयोगी, रुड़की : थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के अभिभावकों को अब बच्चे की बीमारी का प्रमाण-पत्र हासिल करने के लिए देहरादून की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। सिविल अस्पताल रुड़की के तीन चिकित्सकों का एक पैनल ही अब जांच के बाद यह प्रमाण-पत्र जारी करेगा। पूरे हरिद्वार जिले के थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों का यह प्रमाण-पत्र सिविल अस्पताल से ही जारी किया जाएगा।

थैलेसीमिया की बीमारी भी एक तरह की दिव्यांगता है। इस बीमारी से पीड़ित बच्चों में खून नहीं बनता है। उन्हें महीने में एक या दो बार खून चढ़ाया जाता है। सिविल अस्पताल रुड़की के ब्लड बैंक से थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चे जुड़े हैं। ब्लड बैंक ही इन बच्चों को हर माह जरूरत के अनुसार खून चढ़वाता है। थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को उनकी बीमारी से संबंधित प्रमाण-पत्र दिया जाता है। अभी तक यह प्रमाण-पत्र देहरादून से स्वास्थ्य निदेशालय से जारी होता था। लेकिन, अब इसका अधिकार निदेशालय ने सिविल अस्पताल रुड़की को दे दिया है। सिविल अस्पताल रुड़की के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. संजय कंसल ने बताया कि थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों की जांच और उनको प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए तीन विशेषज्ञ चिकित्सकों का पैनल बनाया जा रहा है। पैनल में बालरोग विशेषज्ञ डा. एके मिश्रा को मुख्य रुप से शामिल किया गया है। दो और चिकित्सकों को इसमें शामिल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पूरे जिले के थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के प्रमाण-पत्र अब सिविल अस्पताल से ही जारी हो सकेंगे। पैनल बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करेगा। पैनल की रिपोर्ट के बाद ही यह प्रमाण-पत्र मिल सकेगा।

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