एक्ट के विरोध में स्टाफ समेत सड़कों पर उतरे चिकित्सक

संवाद सहयोगी रुड़की क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में गुरुवार को निजी चिकित्सकों ने

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Feb 2019 08:05 PM (IST) Updated:Thu, 21 Feb 2019 08:05 PM (IST)
एक्ट के विरोध में स्टाफ समेत सड़कों पर उतरे चिकित्सक
एक्ट के विरोध में स्टाफ समेत सड़कों पर उतरे चिकित्सक

संवाद सहयोगी, रुड़की: क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में गुरुवार को निजी चिकित्सकों ने स्टाफ के साथ रैली निकाली। चिकित्सकों ने इस्टेब्लिशमेंट एक्ट को काला कानून बताते हुए सरकार से इसे तत्काल वापस लेने की मांग की। इस दौरान चिकित्सकों ने ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नितिका खंडेलवाल को ज्ञापन दिया। चिकित्सकों ने कहा कि जब तक इस एक्ट को वापस नहीं लिया जाता है, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।

प्रदेश में क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू करने के विरोध में निजी चिकित्सक आंदोलन कर रहे हैं। चिकित्सकों ने इसके विरोध में गुरुवार को छठे दिन भी नर्सिंगहोम बंद रखे। साथ ही, आइएमए के बैनर तले निजी चिकित्सकों ने एक्ट के विरोध में एक रैली निकाली। रैली में चिकित्सकों के साथ नर्सिंगहोम में काम करने वाला पूरा स्टाफ भी साथ रहा। रैली बीएसएम तिराहे से शुरू होकर शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए सिविल लाइंस बाजार पहुंची। यहां से पुरानी कहचरी स्थित ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नितिका खंडेलवाल के कार्यालय पर पहुंची। रैली में चिकित्सकों के हाथों में एक्ट के विरोध में विभिन्न नारों के पोस्टर और बैनर भी थी। चिकित्सकों ने एक्ट को वापस लेने की मांग करते हुए ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को नितिका खंडेलवाल को एक ज्ञापन सौंपा। आइएमए रुड़की अध्यक्ष रेणु जैन ने कहा कि इस्टेब्लिशमेंट एक्ट छोटे अस्पताल चलाने वाले निजी चिकित्सकों के लिए काला कानून है। डॉ. संजय गर्ग ने कहा कि यदि यह कानून लागू करना ही है तो 50 से अधिक बेड वाले कॉरपोरेट अस्पतालों पर किया जाए। छोटे अस्पतालों पर यदि यह एक्ट लागू होता है तो वह उनके पास अपना नर्सिंग होम बंद करने के सिवाय कोई उपाय नहीं है। इससे चिकित्सकों को उत्तराखंड से पलायन करना पड़ेगा। इस मौके पर डॉ. संजीव गर्ग, डॉ. रामसुभग सैनी, डॉ. संध्या भटनागर, डॉ. सुरेंद्र कौशिक, डॉ. बीएस सैनी, डॉ. रवि जैन, डॉ.डीडी लुंबा, डॉ. सविता, डॉ. जेएम भटनागर, डॉ. अशंक ऐरन, डॉ. हेमंत गुप्ता, डॉ. करण ¨सह, डॉ. मनीषा अग्रवाल, डॉ. राजेंद्र पाल, डॉ. अरुण, डॉ. प्रियंका, डॉ. महीपाल, डॉ. वंदना ग्रोवर, डॉ. अनंत गुप्ता, डॉ. प्रवीण गोठी, डॉ. आशीष गुप्ता आदि चिकित्सक मौजूद रहे।

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मरीजों की भीड़ के आगे कम पड़ रहे सरकारी चिकित्सक

संवाद सहयोगी, रुड़की: निजी चिकित्सकों की स्वत: बंदी के चलते सरकारी अस्पताल में मरीजों की भारी भीड़ पहुंच रही है। मरीजों की भीड़ के आगे चिकित्सक कम पड़ रहे हैं। गुरुवार को भी अस्पताल में मरीजों की भारी भीड़ रही है। अधिक संख्या में मरीजों के पहुंचने के चलते चिकित्सकों को भी सांस लेने की फुर्सत नहीं मिल पा रही है। ओपीडी समय के बाद तक भी कुछ चिकित्सक ओपीडी में मरीज देखते नजर आए।

एक्ट के विरोध में गुरुवार को छठे दिन भी निजी चिकित्सकों ने नर्सिंगहोम बंद रखे। इससे निजी अस्पताल में उपचार को जाने वाले मरीजों को उपचार के लिए सिविल अस्पताल जाना पड़ रहा है। इससे अस्पताल में मरीजों की संख्या सामान्य से तीन गुनी हो गई है। जबकि चिकित्सक पहले जितने ही है। मरीजों की लाइन सुबह ही लगनी शुरू हो जाती है। रजिस्ट्रेशन काउंटर पर लंबी लाइन में लगकर मरीज पर्चा बनवाते हैं। इसके बाद ओपीडी के बाहर खड़े होकर अपने बारी का इंतजार करते हैं। चिकित्सक द्वारा लिखे जाने वाले टेस्ट कराने और उसकी फीस जमा कराने में भी मरीजों को भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। गुरुवार को 550 से अधिक मरीज उपचार को अस्पताल में पहुंचे। ट्रामा सेंटर में भी मरीजों की भीड़ लगी रही।

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एक्ट को बताया जरूरी, ज्ञापन दिया

रुड़की: आम नागरिक मंच ने गुरुवार को ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नितिका खंडेलवाल को ज्ञापन सौंपकर सीई एक्ट अनिवार्य बताया। संगठन के अध्यक्ष दीपक लाखवान ने कहा कि इस एक्ट के लागू होने से निजी अस्पतालों की मनमानी पर लगाम लगेगी। उन्होंने एक्ट की सराहना करते हुए कहा कि इस एक्ट से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा। मरीजों को अच्छा उपचार मिल सकेगा। निजी अस्पतालों को ट्रेंड और डिग्री धारक स्टाफ रखना जरूरी होगा। इस मौके सुशील कश्यप, सरोज त्यागी, विकास पैन्यूली, संदीप वर्मा, विजय शर्मा एवं सतेंद्र सत्य मौजूद रहे।

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महिलाएं आपस में भिड़ी

रुड़की: सिविल अस्पताल में उमड़ी भीड़ के दौरान पर्चा बनवाने के लिए लाइन में लगी दो महिलाएं आपस में भिड़ गई। इससे अफरा-तफरी मच गई। तब तक अस्पताल में तैनात पीआरडी के जवान मौके पर पहुंच गए और उन्होंने किसी तरह से महिलाओं को शांत कराया।

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